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स० [सम१२ हरता वल्पोषमने असे ष्यात मे नाग मात्र तले क्षेत्र पज्योषमय संध्या मे नागे अतला या कास प्रदेस लयाए तब जेते॥ बधेल यात संखेद्या ॥ समएसमएम विहार माणावलिउ आवेश तलासमा समाल बाज काय ना वेकिकेतला व में करता। कालची मान जा तू पर होइते लाभलीजे एक वादश्याएमा के हने जेस लाव वाजली इम वरूप एकरी पलवल के पहचान थी वस नैव क्रिय थी हो दूते पए के सला कनेने ते अश्नागमिते । काले अविहरति बाठकायनामु के लावे क्रियजिम उधी की उारी कमुकुलम सरीरम प्राहारीक सरीर जिम नोश्चेवणं चहिया सिया | मुक्केल याज हा उहिया । | वेक्रिय सरीर ।
मु०मुके०
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ताजाल दा
प्रथवी का घना
तिमकहवा
राज हा पुढवी का या वे रवि यसरीरा ( तहभाण्यिच्चा | तेश कम्मासरी राहा
आलिय मुक्केलया ग्राहमय सरी तेजस कारमसरीरजिम प्रथवी कायने
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