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________________ । ०काय नासरी रावते ते कायनापल सवसरी श्रम अभावा म लक मुकेल गजालवा वा कायने हैन त के तला का धाएँ एवं श्राकाश्याएं (ते काश्या (ससरीना लिया / वाकाश्या 13ारी कसरी रा [ी काल्ने [ जदारी कसरीर तिमवाठ का यने प कहवा अंते केवइयाउ लिसरीश | पं० गो० | जहा पुढ विकाराएं उलिया शरीरात हा भाटिय | वा० वाडकालने हैन त के तलावे कि सरीरवकव्या | द्वेगो । बेप्रकारे वस्त्र ते हे । बधेलकर मुकल चावारका श्यानं ते केवया वेविय सरीरा प०० विद्या पं० नं० वघेल याय मुक्के ( ति हाजे ते वेलग सं०ते संध्या लवले केसला संध्याता 带 12 स० [सम१२ हरता वल्पोषमने असे ष्यात मे नाग मात्र तले क्षेत्र पज्योषमय संध्या मे नागे अतला या कास प्रदेस लयाए तब जेते॥ बधेल यात संखेद्या ॥ समएसमएम विहार माणावलिउ आवेश तलासमा समाल बाज काय ना वेकिकेतला व में करता। कालची मान जा तू पर होइते लाभलीजे एक वादश्याएमा के हने जेस लाव वाजली इम वरूप एकरी पलवल के पहचान थी वस नैव क्रिय थी हो दूते पए के सला कनेने ते अश्नागमिते । काले अविहरति बाठकायनामु के लावे क्रियजिम उधी की उारी कमुकुलम सरीरम प्राहारीक सरीर जिम नोश्चेवणं चहिया सिया | मुक्केल याज हा उहिया । | वेक्रिय सरीर । मु०मुके० बना ताजाल दा प्रथवी का घना तिमकहवा राज हा पुढवी का या वे रवि यसरीरा ( तहभाण्यिच्चा | तेश कम्मासरी राहा आलिय मुक्केलया ग्राहमय सरी तेजस कारमसरीरजिम प्रथवी कायने [
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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