Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 15
________________ प्रथमो वर्गः] भापाटीकासहितम् । - - vvvvvvvv~~~~ ~~~ ~vvvvvvvvvvvvvv दान्तश्च (८) वेहल्लः (९) वेहायसः (१०) अभय इति च कुमाराः । पदार्थान्वयः-तते-तदनु णं-वाक्यालङ्कार के लिए है से-वह सुहम्मेसुधा अणगारे-अनगार जंबु अणगारं-जम्बू अनगार को एवं-इस प्रकार वयासीकहने लगा जम्बू-हे जम्बू ' एवं-इस प्रकार खलु-निश्चय से समणेणं-श्रमण भगवान् महावीर ने जो जाव-यावत् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हो चुके हैं नवमस्स-नौवे अंगस्स-अङ्ग अणुत्तरोववाइय-दसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के तिण्णि-तीन वग्गा-वर्ग पएणत्ता-प्रतिपादन किये हैं । भंते-हे भगवन् । जति णंयदि जाव-यावत् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान् ने नवमस्सनौवे अंगस्स-अङ्ग अणुत्तरोववाइय-दसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के तो-तीन वग्गा-वर्ग पएणत्ता-प्रतिपादन किये है तो भंते-हे भगवन् । पढमस्स-प्रथम वग्गस्स-वर्ग अणुत्तरोववाइय-दसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के जाव-यावन् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान् ने कइ-कितने अज्झयणा-- अध्ययन पएणत्ता-प्रतिपादन किये हैं ? जंबू-हे जम्बू ' एवं-इस प्रकार खलु-निश्चय से संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए जाव-यावत् समणेणं-श्रमण भगवान् ने अणुत्तरोववाइय-दसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के पढमस्स-प्रथम वग्गस-वर्ग के दस-दश अज्झयणा-अध्ययन पएणत्ता-प्रतिपादन किये है तं जहा-जैसे जालि-जालि कुमार मयालि-मयालि कुमार उवयालि-उपजालि कुमार य-और पुरिमसेणे-पुरुषसेन कुमार य-और वीरसेणे-वीरसेन कुमार य-और दीहदंते-दीर्घदान्त कुमार य और लट्टदंते-लष्टदान्त कुमार य-और वेहल्ले-वेहल कुमार वेहासे-वेहायम कुमार य-और अभये-अभय कुमार इति य-इस प्रकार कुमारे-उक्त दश कुमारों के नाम वर्णन किये है। मूलार्थ-इसके अनन्तर वह सुधर्मा अनगार जम्ब अनगार से कहने लगे “हे जम्बू ! इस प्रकार मोक्ष को प्राप्त हुए श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी न नौवं अग, अनुत्तरोपपानिक-दशा, के तीन वर्गप्रतिपादन किये हैं। "हे भगवन ! मुक्ति को प्राप्त हुए श्री श्रमण भगवान ने यदि नौवें अग, अनुनगेपपानिकदशा.के तीन वर्ग प्रतिपादन किये है तो हे भगवन ! प्रथम वर्ग. अनुत्तरोपपातिक दशा, के कितने अध्ययन प्रतिपादन किये हैं ?" श्री मुधर्मा करने लगे "हे

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