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शब्दार्थ- कोप
अणायबिलं =अनाचाम्ल, आयंबिल नामक तप विशेष से रहित अणिक्खित्तें=अनिक्षिप्त ( निरन्तर ),
विना किसी बाधा के अणुज्भिय धम्मियं = उपयोगी, रखने योग्य४२ अणुत्तरोवचाइयदसाण = अनुत्तरोपपा
४२
४२, ४३
तिकदशा नाम वाले नवें शास्त्र का ३, ८, ११, २०, २४३, २६, २७, ३२३, ३४, १५ अग खभ सय सन्निवि= अनेक सैकडों
स्तम्भों ( खभों) से युक्त अण्ण्या=अन्यदा, किसी समय
३८
४६, ७२,
८०, ६०
अदी - दीनता से रहित अन्नया=
- देखो अरणया
अन्ने=अन्न
अपराजिते = अपराजित विमान में अपरिततजोगी=अविश्रान्त अर्थात् निर
२०, २७
न्तर समाधि-युक्त
अपरिभूआ = अतिरस्कृत, नीचा न देखने वाली
४६
अभय-दपणं=अभय देने वाले
अभयस्स=अभय कुमार का अभये= अभय कुमार
अभिग्गहं= प्रतिज्ञा, आहार आदि ग्रहण करने की मर्यादा बाँधना
अमुच्छिते = बिना किसी लालसा के, अनासक्त होकर केवल शरीर धारण के लिए | अम्मयं = माता को
|
अयल= अचल, स्थिर अरुय= अधि व्याधि से रहित
४६ | अलं=सब प्रकार के, पूर्णरूप से अलत्तग- गुलिया - मेंहदी की गुटिका ४२ | अवकंखंति = चाहते हैं
अवि = भी
३५
६५
अपुणरावत्तय=बार २ जन्म-मरण के बन्धन से रहित
अप्पsिहय-वर नाण दंसण-धरेण=अप्रतिहत (विघ्न-बाधा से रहित श्रेष्ठ ज्ञान और दर्शन धारण करने वाले अपाण = अपने आत्मा की ४२, ४३, ४६, ८६ अप्पा=आत्मा से अम्भणुरणाते= आज्ञा होने पर, आज्ञा ४२, ४३, ४६
४६
मिल जाने पर अम्भस्थिते = आध्यात्मिक विचार ? अभुगत- मुस्सिते-बडे और ऊँचे अब्भुज्जताए = उद्यम वाली अभओ =अभयकुमार
अयं = यह ३, २०, २४, २७, ३२,
अविमणे = बिना दुखित चित्त के अवसादी = बिना विषाद (खेद ) के अव्वाबाहं = पीडा से रहित
| असंसट्ट=साफ हाथों से
असि = है
अह = मैं
५१२, ५३', ८१ े, ६५
६५
६५
३५
६१
६४
२०
το
३७ | अहीए =अध्ययन की, सीखी ४५ अहीण-पूरा
२० | आइगरें= धर्म के प्रवर्तक
८
अह= प्रथ- पक्षान्तर या प्रारम्भ सूचक अव्यय
६५ | अहा - पज्जत्तं = जितना कुछ भी, आवश्य
कतानुसार मिला हुआ अहापडिरूवं= यथायोग्य, उचित अहा सुहं = सुखपूर्वक अहिज्जति - अध्ययन करता है, पढता है
පුද
४२, ४५
८६
४६
३६
४६
४६
६५
४२
७३
३६, ७२,८०
४५
४६
७२
४२
१६, ४६, ८६
३५
३५, ८६
६४