Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 111
________________ अनुत्तरोपपातिकदशासूत्रम् दुलहंति-आरोहण करता है, चढ़ता है १२ धारिणी-सुआ-धारिणी देवी के पुत्र २० १३,८० नंदादेवी-नन्दादेवी नाम वाली रानी देवस्सन्देव की १३, ८० नगरी-नगरी देवत्ताए-देव-रूप से १३, ८० नगरीए-नगरी में देव-लोगाओ-देवलोक से १३,८२ नगरे-नगर देवाणुप्पियाणं-देवों के प्रिय (आप) नव-नौ का १३, ३६ नवराह-नौ की देवाणुप्पिया-देवों के प्रिय (तुम) ४२, ७२२ नवराहवि-नौवों की देवीराज-महिषी, पटरानी १२, २७ नवमस्स नौवें देवेन्देव ६१ नव-मास-परियातो-नौ महीने की सयमदोच्चस्स-दूसरे २४, २६, २७,२३२ वृत्ति दोण्ह-दो का नवमे नौवाँ दोन्नि-दो का २७१, ६१ नवमो नौवॉ घण्णस्स-धन्य कुमार या अनगार का ८० नवरं-विशेषता-सूचक अव्यय १२, २०, . (धण्णे,ने-धन्यकुमार या अनगार ३२,४२२, ४५२,४६, ४६२, ६७, ७२२. ७३, ६१ नाम-नाम वाली २ धण्णे-धन्य है ७३ नालाए-नासिका की, नाक की धरणो,नो-धन्य अनगार ८६२ निक्खमणं-निष्क्रमण, गृहत्याग धन्न-धन्य कुमार नाम का ३५, ३७ निग्गओ-निकला धन्नस्सधन्य कुमार या अनगार का ३६, निग्गता-निकली ५१, ५३, ५५, ५६, ६१, ६३, निग्गतो निकला निग्गया-निकली धन्ने, धन्नो देखो धरणे. धरणो " निसम्म ध्यानपूर्वक सुनकर धम्म-धर्म पंच-पाँच २०, २७ धम्म-कहा-धर्म-कथा ७२, ६. पंचएह-पाँच का धम्म-जागरिय-धर्म-जागरण ८०,६० पंच-धाति-परिक्खित्ते पाँच धाइयों की। धम्म-दएणं श्रुत और चारित्र रूप धर्म रना में रखा हुआ देने वाले ६४ पंच-धाति-परिग्गहित पॉच धाइयों का धम्म-देसएण-धर्म का उपदेश करने वाले६४ ग्रहण किया हुआ ३५ धम्म-वर-चाउरंत-चकवट्टिणा-उत्तम पगति-भदए-प्रकृति से भद्र, सौन्य धर्मरूपी चार गति और चार अवयव स्वभाव वाला १३ युक्त संसार के चक्रवर्ती ६४ ६५ पग्गहियाए ग्रहण की हुई, स्वीकार की धारिणी-धारिणी नाम की श्रेणिक राजा की रानी १२ पजुवासति-सेवा करता है ३६२

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