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अनुसन्धान-६४
(२) यत्तननगरे श्रीहीरविजयसूचि प्रति महेवानगरत: विजयहर्षमुनिना लिखितो
विज्ञप्तिलेख:
- सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय जगद्गुरु श्रीहीरविजयसूरि महाराज ए जैन इतिहासना प्रसिद्ध अने पवित्र धर्मपुरुष छे. शाह अकबर तेमना धर्मचरणथी अतिप्रभावित हतो, अने तेने कारणे तेणें पोताना राज्यमां अहिंसापालननी घोषणाओ वगेरे अनेक सत्कार्यो करेलां ते बधुं पण ऐतिहासिक तथ्य छे. सं. १६३०मां तेमनुं चातुर्मास ‘पत्तन'१ (पाटण) शहेरमां हशे त्यारे, तेमनी शिष्यपरम्परामां वर्तता मुनि विजयहर्षे 'महेवा' (महोवा-महोबकपुर) थी आ पत्र लखेल छे.
पत्र सम्पूर्णतः पद्यात्मक छे. २२२ पद्योमा व्याप्त आ पत्रमा लेखके प्रयोजेल छन्दोवैविध्य-विचित्र छन्दोना प्रयोग सुज्ञ भावकने अचंबो पमाडी जाय तेम छे. विविध चित्रबन्धो, द्वयक्षर काव्य, त्रिपदी-द्विपदी-एकपद प्रकारकाव्यगुम्फन तेमनी विद्वत्ताना प्रकर्षनो संकेत आपी जाय छे.
प्रथमना ४६ श्लोको मङ्गलाचरणरूप जिनवन्दनाना छे. ऋषभदेवविमलनाथ-कुन्थुनाथ आदि विविध जिनोनी, १ थी २४ जिनोनी, छेल्ले वर्धमानजिननी कर्ताए स्तुति करी छे. ४७ थी ६१मां नगरवर्णन छे. ५६मा पद्यमां 'हेमराज' नाम आवे छे, ते त्यांनो शासक हशे के मन्त्री? स्पष्ट थतुं नथी. ६२-१८२ सूरिवर्णन छे. १८३मां महेवानो उल्लेख मळे छे. त्यां हरपाल राजा, तेनी धन्यवती नामे राणी, तेमनो मेघराज नामनो पुत्र - आ ३नो उल्लेख १८४-८५मां थयो छे. १९१मां पत्रलेखकनो नामनिर्देश छे...
पत्रलेखक महानिशीथसूत्र नामे आगमना योगोद्वहन कर्या पछी कल्पाध्ययनना जोग वही रह्या होवानो उल्लेख धार्मिक दृष्टिए महत्त्वनो गणाय तेवो छ (१९३). १. ४८मा श्लोकमांना 'पत्तन' शब्दने आधारे आ कल्पना करी छे. तेने बदले
बीजुं कोई गाम होय तो नकारी न शकाय. इतिहास जोवो पडे.
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