Book Title: Anusandhan 2014 08 SrNo 64
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
जुलाई - २०१४
२२५
मत-बुध किवलासं, मतकै वासं, मणिधर मोटे मन्न, वायक ज्यां लायक, संघमैं नायक, गुणज्ञायक गुणीयन्न, सोभा-गुणआगर, महिमासागर, दिन दिन वधर्मी वान.
- एसों घांणोरा.... ९ दरबारै राजें, घन जिम गाज, मदझरता मातंग, काछी कंबोजा, घाट कनोजा, पांणोपंथ पवंग, तुरकी तेजाला, हय मतवाला, भरै भली मडांण.
एसों घांणोरा.... १० उंचा असमांनं, मैहल मंडानं, अडीया अंबर आंण,
अनुपम कोरणीयां, गोखां वणीयां, जलहल तेजें भांण, कंचनमय छाजें, कलस विराजें, मांगें अमरविमान.
एसो घांणोरा.... ११ सोहै भल सूंदर, मोहनमंदिर, जुगतें जाली जोख, रायांगण राजै, ताक विराजै, है जोवण री जोख, चित्रांम बनाए, मंडप छाए, ज्याके अधिक वखांन.
एसों घांणोरा.... १२ दोढीकै नेडी, भली कचेडी, ज्यां बैठे हुजदार, मोटे मन-शुद्धी, है बहु बुद्धी, रांम-करण भुजभार, हिंमत तस भारी, जन हितकारी, है गुणवास निधान
एसों घांणोरा.... १३
दोहा . खेडा दैवत खंतसू, पूज्यां पूरै आस, विवरी नाम वखांणीइ, पेखों पुरकै पास. १ वडडूंगर झिंगर विषम, धरै... कुण धीर, वांकां अनड विराजीयों, वीराहंदो वीर. २
सवैया वडे ढुंक उतंग निषंग अडै वन, झाड पहाडकू देखड राजें, सुविशाल वडाल विहार वणे जल, नृमल वावकी रुंस सरासें,
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298