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जुलाई - २०१४
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मत-बुध किवलासं, मतकै वासं, मणिधर मोटे मन्न, वायक ज्यां लायक, संघमैं नायक, गुणज्ञायक गुणीयन्न, सोभा-गुणआगर, महिमासागर, दिन दिन वधर्मी वान.
- एसों घांणोरा.... ९ दरबारै राजें, घन जिम गाज, मदझरता मातंग, काछी कंबोजा, घाट कनोजा, पांणोपंथ पवंग, तुरकी तेजाला, हय मतवाला, भरै भली मडांण.
एसों घांणोरा.... १० उंचा असमांनं, मैहल मंडानं, अडीया अंबर आंण,
अनुपम कोरणीयां, गोखां वणीयां, जलहल तेजें भांण, कंचनमय छाजें, कलस विराजें, मांगें अमरविमान.
एसो घांणोरा.... ११ सोहै भल सूंदर, मोहनमंदिर, जुगतें जाली जोख, रायांगण राजै, ताक विराजै, है जोवण री जोख, चित्रांम बनाए, मंडप छाए, ज्याके अधिक वखांन.
एसों घांणोरा.... १२ दोढीकै नेडी, भली कचेडी, ज्यां बैठे हुजदार, मोटे मन-शुद्धी, है बहु बुद्धी, रांम-करण भुजभार, हिंमत तस भारी, जन हितकारी, है गुणवास निधान
एसों घांणोरा.... १३
दोहा . खेडा दैवत खंतसू, पूज्यां पूरै आस, विवरी नाम वखांणीइ, पेखों पुरकै पास. १ वडडूंगर झिंगर विषम, धरै... कुण धीर, वांकां अनड विराजीयों, वीराहंदो वीर. २
सवैया वडे ढुंक उतंग निषंग अडै वन, झाड पहाडकू देखड राजें, सुविशाल वडाल विहार वणे जल, नृमल वावकी रुंस सरासें,
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