Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 124
________________ अन्तर्द्वन्द्वों के पार 75 फुट की ऊंचाई पर है । विन्ध्यगिरि की अपेक्षा यह पहाड़ी 274 फुट नीची है। तीर्थयात्रा के पवित्र संकल्प से जब हम चन्द्रगिरि की प्रदक्षिणा करने के लिए निकलते हैं तो प्रदक्षिणा का अर्थ है उन 12 बसदियों ( मन्दिरों) के दर्शन जो दीवार के 500 फुट लम्बाई और 225 फुट चौड़ाई के एक घेरे में प्रतिष्ठित हैं । 96 पार्श्वनाथ बसदि सबसे पहले हमें पार्श्वनाथ बसदि (मन्दिर) के दर्शन होते हैं । यह मन्दिर दक्षिण की द्राविडी शैली में निर्मित है । निर्माण की द्राविडी शैली का अर्थ है, स्थापत्य की एक विशेष शैली जिसमें निर्माण के कुछ अंग स्पष्ट दिखाई देते हैं । जैसे, गर्भगृह - जिसमें तीर्थंकर की मूर्ति मूलनायक प्रतिमा के रूप में प्रतिष्ठित होती है। गर्भगृह के अतिरिक्त कुछ अन्य पारिभाषिक शब्द जो इन मन्दिरों की नाव का वर्णन करते हुए प्रायः प्रयोग में आते हैं, ये हैं : सुखनासिया शुकनासिका - शिखर के सामने वाले भाग से जुड़ा हुआ बाहर निकला भाग जिसमें कभी-कभी मन्दिर के गवाक्ष या झरोखों का भी प्रबन्ध होता है । मुखमण्डप - सामने का या प्रवेशद्वार का मण्डप | नवरंग - वह महामण्डप जिसमें बीच में चार और बारह स्तम्भों की ऐसी संयोजना होती है कि उससे नौ खाँचे बन जाते हैं ! रंगमण्डप – खम्भों पर आधारित मण्डप जो चारों ओर से खुला हुआ होता है । इसे सभा मण्डप भी कहते हैं । पार्श्वनाथ बसदि की लम्बाई 59 फीट और चौड़ाई 29 फीट है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, मन्दिर की मुख्य मूर्ति तीर्थंकर पार्श्वनाथ की है । यह 15 फुट ऊँची है और इसके मस्तक पर सात फणों वाले नाग की छाया है। मूर्ति अत्यन्त मनोज्ञ है । मन्दिर के सामने बहुत बड़ा मानस्तम्भ है जिसके चारों मुखों पर यक्ष और यक्षियों की मूर्तियाँ खुदी हैं। नवरंग में जो लेख खुदा हुआ है उससे मालूम होता है कि मानस्तम्भ का निर्माण एक पुट्टेय सेठ द्वारा शक संवत् 1672 के आसपास हुआ होगा। नवरंग में एक विशाल लेख ( क्र. 77 ) खुदा है जो शक संवत् 1050 का है जिसमें मल्लिषेण मलधारि देव के समाधिमरण का संवाद है । कत्तले बसदि कन्नड़ में कत्तले का अर्थ है अँधेरा । मन्दिर में पहले प्राय: अँधेरा ही रहता था । मन्दिर विशाल है - लम्बाई - घोड़ाई 124 X 40 फुट । मन्दिर पर शिखर नहीं है किन्तु लगता है कि पहले शिखर था जो मन्दिर के खुदे हुए मानचित्र में दिखाया

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