Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 164
________________ 128 15 -- 32 17 120 94 क्रमांक आचार्य-नाम गुरु-नाम लेख क्र० शक संवत् विशेष विवरण 14 सिंहनन्दि गुरु वेट्टेडे गुरु 35 अ० 622 समाधिमरण । गुणभूषित ". सन्द्विगगण (?) । समाधिमरण। लेख बहुत घिसा है, इससे भाव स्पष्ट नहीं हुआ। 16 मेल्लगवास गुरु - 31 समाधिमरण । ये गुरु 'मुंगूर' के थे। ___ नन्दिसेन मुनि समाधिमरण। 18 गुणकीत्ति समाधिमरण । __ वृषभनन्दि मुनि मौनिय आचार्य नविलूर संघ । समाधिमरण । चन्द्रदेवाचार्य समाधिमरण । ये 'नदि' राज्य के थे। मेघनन्दि मुनि - . 124 नमिलूर संघ । समाधिमरण । ___ नन्दि मुनि 126 समाधिमरण । __ महादेव मुनि समाधिमरण । __सर्वज्ञभट्टारक 15 समाधिमरण । ये 'वेगुरा' के थे। 25 अक्षयकीत्ति समाधिमरण। ये दक्षिण 'मदुरा' से आये थे। इन्हें सर्प ने सताया था। ____ गुणदेव सूरि - 26 " समाधिमरण ! मासेन (महासेन) ऋषि समाधिमरण । __सर्वनन्दि चिकुरापरविय(?) 39 समाधिमरण । चिकुरा परविय का तात्पर्य चिकूर के परविय गुरु या चिकुरापरविय के गुरु हो सकता है। 'परवि' एक प्राचीन तालुके का नाम भी पाया जाता है। 22 23 90 24 24 27 28 अन्तर्द्वन्द्वों के पार

Loading...

Page Navigation
1 ... 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188