Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 169
________________ 69 " म. 1020 मू० दे० पू० । हनसोगे शाखा। हुल्ल मंत्री ने ग्राम का दान किया। नयकीर्ति सि० गुणचन्द्र सि० 476 देव (भ० म०) दे० 279 443 281-90 294 296 परिशिष्ट 297 1081 - 1087 अ० 1092 दामनन्दि ० ) 481 देव 476 भानुकीति सि० । 205 म०म०नय- 202 बालचन्द्रदेव कीतिदेव 565 अध्यात्मि 342 . प्रभाचन्द्रदेव 285 1092 मू० दे० पू० । हनसोगे शाखा। कुन्दकुन्दाचार्य के प्राभृत-त्रय पर 1100 इनकी कन्नड़ी टीका पाई जाती है। 81 1102 1103 माघनदि भट्टारक पद्मनन्दिदेव मंत्रवादि नेमिचन्द्र पं०देव ) 76 336 444 453 571 457 2931 2954 292) 1104 अ० 1118 " 1120 133

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