Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 182
________________ परिशिष्ट 6 शिलालेखों में वर्णित उपाधियाँ श्रवणबेल्गोल के सन्दर्भ में जैन धर्म और संस्कृति के जिस प्रभाव की चर्चा आचार्यों, मुनियों और श्रावकों के संयमित और आदर्शोन्मुख जीवन के प्रसंगों में की गयी है, उस संस्कृति ने गृहस्थ राजपुरुषों को उनके लौकिक कर्तव्य के प्रति भी सदा सचेत रखा है। शिलालेखों में उन शूरवीरों के पराक्रम का उल्लेख उनकी उपाधियों में प्रतिबिम्बित है। एक-एक रण-बांकुरे को अनेक उपाधियों से सम्मानित किया गया है। यहां पर कुछ प्रमुख उपाधियों का ही उल्लेख करना सम्भव हो पाया है। ये उपाधियां अपने अर्थ को स्वयं स्पष्ट करती हैं। शिलालेखों के क्रमांक 'एपिग्राफिया कर्नाटिका' के नये संस्करण के अनुसार हैं। सन्दर्भ की सुविधा के लिए उपाधियां अकारादि क्रम से दी गयी हैं। उपाधियां अप्रतिमवीर अरिराय विभाड अहित-मार्तण्ड उदय-विद्याधर कदन-कर्कश कलिगलोलगण्ड काडुवट्टि कीर्तिनारायण गङ्गकन्दर्प गङ्गगाङ्गेय गङ्गचूडामणि गङ्गमण्डलिक लेख क्रमांक 434 (जैन शिलालेख-संग्रह भाग 1) 475 64 172 64 163 64 पल्लव नरेशों की उपाधि 163 64

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