Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
-
377
"
"
एक शिष्य ने वन्दना की।
___"
निषद्या।
परिशिष्ट
382
114 115 116 '117 118 119
सोमसेनदेव भुवनकीत्तिदेव
378 सिंहनन्दिआचार्य
हेमचन्द्रकीतिदेव शान्तिकोत्तिदेव 379 । चन्द्रकीति
361 ' पण्डिताचार्य व - 467 पण्डितदेव
423 । श्रुतमुनि पण्डितार्यमुनि 357 : जिनसेन भट्टारक : - 354
(पट्टाचार्य) अभिनव पण्डित चारुकीत्तिपं. देव 363
निषद्या। ____1331 भूमिदान। अ० 1330 इनकी शिष्या देवराय महाराय की रानी भीमादेवी ने मूर्ति प्रतिष्ठा
कराई। 1344 इनके समक्ष दण्डनायक इरुगप ने वेल्गोल ग्राम का दान किया। अ० 1360 सं
न्दना को आये
1371
-
123
पण्डितदेव
471[
० 1420
5450 अ0 1420
124 125
126 127
__ चारुकीर्तिभट्टारक - 387 अ. 1520 चरणचिह्न। पण्डितदेव
365 अ० 1531 ब्रह्म० धर्मरुचि
अभयचन्द्रभट्टारक 304 वि० संवत् " गुणसागर -
यात्रा।
1558 चारुकत्तिपं० देव - 352 1556 इनके समक्ष मैसूर-नरेश ने मन्दिर की भूमि ऋणमुक्त कराई।
497 1565 स्वर्गवास ।
128
137

Page Navigation
1 ... 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188