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अरिष्टनेमि आचार्य
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परिशिष्ट
. वषभनन्दि आचार्य
मौनि गुरु
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चरितश्री मुनि - - पानप (मौनद) बलदेव गुरु धर्मसेन गुरु
समाधिमरण। इनके अनेक शिष्य थे। समाधि के समय दिण्डिकराज' साक्षी थे। लेख क्र० 16 व 233 यद्यपि क्रमशः 8वीं व 9वीं शताब्दी के अनुमान किये जाते हैं तथापि सम्भवतः उनमें भी इन्हीं आचार्य का उल्लेख है। लेख क्र. 233 में वे 'परसमयध्वंसक' पद
से विभूषित किये गये हैं तथा 'मले गोल' कहे गये हैं। " इनके किसी शिष्य ने समाधिमरण किया। अ० 622 एक शिष्या का समाधिमरण। ये ही सम्भवतः लेख क्र० 10 के
गुणसेन गुरु के तथा लेख क्र० 121 के वृषभनन्दि गुरु के गुरु थे। __ " समाधिमरण। " समाधिमरण।
समाधिमरण। इनके गुरु 'कित्तूर' परगने में 'वेल्माद' नामक स्थान
के थे। ___ समाधिमरण। इनके गुरु 'मालनूर' के थे। उग्रसेन ने एक मास
तक अनशन किया। समाधिमरण । लेख क्र. 23 में सम्भवतः इन्हीं मौनिगुरु का उल्लेख है । गुणसेन 'कोट्टर' के थे। समाधिमरण।
11 27
१ 10
उग्रसेन गुरु गुणसेन गुरु
पट्टिनि गुरु मौनि गुरु
28 10
11 12
उल्लिक्कल गुरु कालावि (कला
पक) गुरु नागसेन गुरु ऋषभसेन गुरु
___एक शिष्य का समाधिमरण ।
समाधिमरण ।
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