Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 162
________________ परिशिष्ट 3 शिलालेखों में उल्लिखित प्रमुख आचार्यों, मुनियों और पण्डितों की नामावलि नामावलि में वणित आचार्य, मुनि आदि का परिचय माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला से प्रकाशित 'शिलालेख संग्रह' भाग 1 पर आधारित है, किन्तु शिलालेखों के क्रमांक 'एपिग्राफिया कर्नाटिक' के नये संस्करण के अनुसार दिये गये हैं। संकेताक्षरों का अर्थ अ० या अनु० =अनुमामतः । कु० =कुक्कुटासन । त्रै० देव =विद्यदेव । पं० आचार्य==पंडिताचार्य । पं० देव पंडितदेव । ब्रह्म= ब्रह्मचारी। म० म० ==महामण्डलाचार्य । मू० दे० पु०=मूल संघ, देशीगण, पुस्तक-गच्छ । सि० देव सिद्धान्तदेव । सिच०= सिद्धान्त चक्रवर्ती। सि० मु० =सिद्धान्त मुनीश्वर। क्रमांक आचार्य-नाम गुरु-नाम लेख क्र० शक संवत् विशेष विवरण 1 2 बलदेव मुनि शान्तिसेन मुनि कनकसेन - 2 34 अ० 572 समाधिमरण । समाधिमरण । भद्रबाहु और चन्द्रगुप्त मुनीन्द्र ने जिस धर्म की उन्नति की थी उनके क्षीण होने पर इन मुनिराज ने उसे पुनरुत्थापित किया।

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