Book Title: Antardvando ke par
Author(s): Lakshmichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ 113 बाहुबली-मूर्तियों की परम्परा भरत और बाहुबली के साथ ऋषभनाथ की विशालतम मूर्ति तोमरकाल, पन्द्रहवीं शती, में ग्वालियर की गुफाओं में उत्कीर्ण की गयी। इस प्रकार की एक पीतल की मूर्ति नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्राहलय में है। इसमें ऋषभनाथ सिंहासन पर आसीन हैं और उनकी एक ओर भरत तथा दूसरी ओर बाहुबली कायोत्सर्गस्थ हैं। यह संभवत: चौदहवीं शती की पश्चिम भारतीय कृति है। ___ इन पांचों के अतिरिक्त और भी कई मूर्तियों पर ऋषभनाथ के साथ भरत और बाहुबली की प्रस्तुति होने का संकेत मिलता है। उड़ीसा के बालासोर जिले में भद्रक रेलवे स्टेशन के समीप चरम्पा नामक ग्राम से प्राप्त और अब राज्य संग्रहालय, भुवनेश्वर में प्रदर्शित अनेक जैन मूर्तियों में से कुछेक में इस प्रकार के मूत्यंकन हैं। ___इनके अतिरिक्त एक ऐसा मूर्यंकन भी प्राप्त हुआ है जो इन सभी से प्राचीन कहा जा सकता है। उड़ीसा के क्योंझर जिले में अनन्तपुर तालुका में बौला पहाड़ियों के मध्य स्थित पोदसिंगिदि नामक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ ऋषभनाथ की एक मूर्ति प्राप्त हुई है। उड़ीसा में प्राप्त यह प्रथम जैनमूर्ति है जिस पर लेख उत्कीर्ण है। इसमें आसन पर वृषभ लांछन के सामने दो बद्धांजलि भक्त अंकित हैं जो भरत और बाहुबली माने जा सकते हैं, और तब यह इस प्रकार की मूर्तियों में सर्वाधिक प्राचीन होगी। एक पटली-चित्रांकन ___ बाहुबली की गृहस्थ अवस्था का, भरत से युद्ध करते समय का, मूवंकन तो नहीं किन्तु चित्रांकन अवश्य प्राप्त हुआ है। प्राचीन हस्तलिखित शास्त्रों के ऊपर-नीचे जो काष्ठ-निर्मित पटलियां बाँधी जाती थीं उनमें से एक पर यह चित्रांकन है। मूलतः जैसलमेर भण्डार की यह पटली पहले साराभाई नवाब के पास थी और अब बम्बई के कुसुम और राजेय स्वाली के निजी संग्राहलय में है। बारहवीं शती की इस पटली की रचना सिद्धराज जयसिंह चालुक्य, 1094-1144 ई०, के शासनकाल में विजयसिंहाचार्य के लिए हुई थी। इसका रचनास्थल राजस्थान होना चाहिए। भरत-बाहुबली-युद्ध इस पटली के पृष्ठभाग पर प्रस्तुत है जिस पर घुमावदार लताबल्लरियों के वृत्ताकारों में हाथी, पक्षी और पौराणिक शेरों के आलंकारिक अभिप्राय अंकित हैं। उत्तर और दक्षिण की बाहुबली-मूर्तियों में रचना-भेद बाहुबली की मूर्तियों की सामान्य विशेषता यह है कि उनकी जंघाओं, भुजाओं और वक्षस्थल पर लताएँ उत्कीर्ण रहती हैं जो इस बात की परिचायक हैं कि

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188