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स्मारक चतुष्टय
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के लिए राचनहल्ल ग्राम का दान दिया था। मन्दिर का निर्माण-काल 1016 है। इस ग्राम में एक शव और एक वैष्णव मन्दिर भी है। यहां के तालाब की नहर में टूटे हुए मन्दिरों का मसाला लगाया गया है। यह इस बात का संकेत करता है कि यहाँ और अधिक मन्दिर रहे होंगे।
ग्राम साहल्लि
यह श्रवणबेल्गोल से 3 मील दूर है। यहाँ एक ध्वस्त जैन मन्दिर है । लेख क्र० 550 के अनुसार इसे गंगराज की भावज जविकमव्वे ने बनवाया था। (संदर्भ ऊपर भी आ चुका है।)
कम्बदहल्ली
श्रवणबेल्गोल से यह स्थान 11 मील दूर है। यहां एक कलापूर्ण स्तम्भ है जिसके ऊपर ब्रह्मयक्ष की मूर्ति है। इसके समीप ही सात पाषाण-निर्मित जैन मन्दिर हैं। यहां के एक शान्तिनाथ मन्दिर में तीर्थंकर शान्तिनाथ की 12 फुट उत्तुंग मनोज मूर्ति है। सेनापति गंगराज के पुत्र बोप्पण ने इसका निर्माण कराया था । कम्बदहली का शिल्प और कलाकौशल इतना अद्भुत है कि जिसे देखकर आज का कलाकार या स्थपति चकित-सा रह जाता है।
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