Book Title: Antar Ki Aur
Author(s): Jatanraj Mehta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 4
________________ समर्पण मेरी हद तंत्री के तारों को झंकृत कर मुझे अनन्त आनन्द का अमृत पान कराया भारत की ऐसी विरल विभूति, पूज्य गुरूदेव, आचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा. के चरण कमलों में श्रद्धा सहित समर्पित

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