Book Title: Anekant 1982 Book 35 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 108
________________ Regd. with the Registrar of Newspaper at R.N.10591162 वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन तीर्थ : प्रो. डा० मजिस्य । समीचीन धर्मशास्त्र : स्वामी समन्तभद्र का गृहस्थाचार-विषयक प्रत्युत्तम प्राचीन ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोर जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाष्य और गवेषणात्मक प्रस्तावना से युक्त, सजिल्द । जैसाम्य-प्रशस्ति संग्रह, भाग १: संस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियों का मगलाचरण सहित अपूर्व संग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टों मोर पं० परमानन्द शास्त्रो की इतिहास-विषयक साहित्य परिचयात्मक प्रस्तावना से अलंकृत, सजिल्द । ... नग्रम्प-प्रशस्ति संग्रह, भाग २: अपभ्रश के १२२ अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियों का महत्त्वपूर्ण सहविपन प्रन्थकारों के ऐतिहासिक ग्रंथ-परिचय पौर परिशिष्टों सहित। सं. पं. परमानन्द शास्त्री। सजिल्द। १५०० समाषितन्त्र पौर इष्टोपदेश : प्रध्यात्मकृति, १० परमानन्द शास्त्री की हिन्दी टीका सहित पवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैन तीर्थ : श्री राजकृष्ण जैन .. ३... ग्याय-दीपिका : मा० अभिनव धर्मभूषण की कृति का प्रो० डा० दरबारीलालजी न्यायाचार्य द्वारा स० अनु०। १०.०० जैन साहित्य और इतिहास पर विशव प्रकाश : पृष्ठ संख्या ७४, सजिल्य । कसायपाहुमसुत्त: मूल ग्रन्थ की रचना माज से दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूणिसूत्र लिखे। सम्पादक प हीरालालजी सिद्धान्त-शास्त्री। उपयोगी परिशिष्टों और हिन्दी अनुवाद के साथ बड़े साइज के १००० से भी अधिक पृष्ठों में। पुष्ट कागज और कपडे की पक्की जिल्द । २५.०० जम निबम्ब-रत्नावली : श्री मिलापचन्द्र तथा श्री रतनलाल कटारिया ७.०० ज्यानशतक (ध्यानस्तव सहित) : संपादक पं. बालचन्द्र सिद्धान्त-शास्त्री १२-०० भावक धर्म संहिता : श्री दरयावसिंह सोषिया ५.८० बम लक्षणावली (तीन भागों में) : स०प० बालचन्द सिद्धान्त शास्त्री प्रत्येक भाग ४०.०० जिन शासन के कुछ विचारणीय प्रसंग : श्री पचन्द्र शास्त्री, बहुचित सात विषयो पर शास्त्रीय प्रमाणयुक्त तर्कपूर्ण विवेचन । प्राक्कथन : सिद्धान्ताचार्य श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री द्वारा लिखित २-०० Jain Monoments : टी० एन० रामचन्द्रन १५.०० Reality : मा० पूज्यपाद की सर्वार्थसिद्धि का अंग्रेजी में अनुवाद । बड़े पाकार के ३०० पृ., पक्की जिल्द ८०० . आजीवन सदस्यता शुल्क : १०१.०० ३० वार्षिक मूल्य : ६) ३०, इस अंक का मूल्य : १ रुपया ५० पैसे विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्पावक मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो। सम्पायक परामर्श मण्डल-डा.ज्योतिप्रसाद जैन, श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, सम्पादक-श्री पपचन्द्र शास्त्री प्रकाशक-रत्नत्रयधारी जैन वीर सेवा मन्दिर के लिए, कुमार बादर्स प्रिटिंग प्रेस के-१२, नवीन शाहदरा दिल्ली-१२ से मुक्ति

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