Book Title: Anekant 1982 Book 35 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 132
________________ जैन साहित्य में कुरुवंश, कुरु-जनपद एवम् हस्तिनापुर है । आदि पुराण के ४३वें पर्व में कुरुजाङ्गल की निम्न- २३. वहां के लोग सज्जन, उदारहृदय, उज्ज्वलता के लिखित विशेषताएं दृष्टिगोचर होती हैं आधार, भीतर से निष्कपट एवं महापराक्रम से युक्त हैं। १. कुरुजाङ्गल देश धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन कल्पसूत्र के अनुसार ऋषभ के सौ पुत्रों में इक्कीसवें पुरुषार्थों की खान है। का नाम कुरु था, जिनके नाम पर कुरु नामक राष्ट्र २. यह देश स्वर्ग के समान है अथवा स्वर्ग में भी प्रसिद्ध हुआ, किन्तु आदि पुराण के अनुसार बाहुबलि पुत्र इद्र के विमान के समान है। सोमप्रभ ही इस नगर के राजा थे और उनकी दूसरी सज्ञा ३. कुरुजाङ्गल देश में स्थित हस्तिनापुर नगर सब कुरु होने से यह भूभाग कुरु देश कहलाया। प्रकार की सम्पदाओं से विचित्र है तथा वह समुद्र में लक्ष्मी जैन साहित्य में हस्तिनापुरकी उपत्यका को झूठा सिद्ध करता हुआ उसके कुलगृह के जैन अ.गमों में हस्तिनापुर-स्थानाङ्ग सूत्र में दस समान जान पड़ता है। महानदियो तथा चम्पा, मथुरा, वाराणसी, श्रावस्ती, __ असग कवि विरचित शान्तिनाथ पराण के त्रयोदश साकेत, हस्तिनापुर, काम्पिल्य, मिथिला, कौशाम्बी और सर्ग में कुरुदेश तथा उसमें स्थित हस्तिनापर नगर का राजगृह नामकी दस राजधानियों के नाम हैं " विस्तृत वर्णन मिलता है। तदनुसार कुरु देश में निम्न विवागमुय मे उज्झिय नामक वणिक पुत्र के पूर्वजन्म लिखित विशेषाए दृष्टिगोचर होती हैं की कथा है, जिमके अनुसार हस्तिनापुर मे भीम नामका १. यह लक्ष्मी से उत्तरकुरु की शोभा जीतता है। एक कूटग्राह (पशुओं का चोर) था। उसके उत्पला नामकी २. साधु पुरुष यहां याचकों को कभी नहीं रोकते है। भार्या थी । उत्पला गर्भवती हई और उसे गाय, बैल आदि ३. वहां के मनुष्यों में विरह तथा मुर्खजनो की सगति का मांस भक्षण करने का दोहद हुआ । उसने गोत्रास नही देखी जाती है। नामक पुत्र को जन्म दिया। यही गोत्रास वणियगाम में ४. अशोक वृक्षावलि के पल्लवो से मुक्त यहां के विजय मित्र के घर उजिमय नामका पुत्र हुआ। उज्झिय सरोवर मूंगा के वनों से युक्त ज्ञात होते है। जब बड़ा हुआ तो उसके माता-पिता मर गए और नगर५. यहां की स्त्रियां नाना प्रकार के बेल-बूटो से रक्षकों ने उसे घर से निकालकर उसका घर दूसरों को दे प्रसाधन करती है तथा काम से उज्ज्वल से शोभा रमणीक दिया । ऐसी स्थिति मे वह द्यूतगृह, वेश्यागृह और पाना गारों मे भटकता हुआ समय यापन करने लगा। कामया ६. यहां के मनुष्यों की बात ही क्या, वनवृक्ष भी नामक वेश्या के घर पर वह आने-जाने लगा। यह वेश्या सत्पुरुषों के आचरण का पालन करते है। राजा को भी प्रिय थी। एक दिन उज्झिय वेश्या के घर ७. उस देश के तालाबों में राजहंस निवास करते है। पकड़ा गया और राजपुरुषों ने उसे प्राणदण्ड दे दिया। ८. वहां के ब्राह्मण निर्दोष तलवार धारण करने वाले निसीह के नौवें उद्देशक में चम्पा, वाराणसी, श्रावस्ती, उत्तम राजाओं की सेवा करते हैं । साकेत, काम्पिल्य, कौशाम्बी, मिथिला, हस्तिनापुर और ९. उस देश के उत्तम राजा जगत् के दरिद्रयजनित राजगृह नामकी दस अभिषिक्त राजधानियां गिनाई गई दुःख को दूर करते हैं। हैं। यहां राजाओं का अभिषेक किया जाता था। १०. वहां की नारियां बर्फ के समान शीतल जल आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य में हस्तिनापुर-आचार्य कुन्दधारण करती हैं। कुन्द की निर्वाण भक्ति में अष्टापद, चम्पा, ऊर्जयन्त, पावा, ११. वहाँ का जन समूह विपत्तियों के अंश से रहित सम्मेदशिखर, गजपथा, शझुंजय, तुंगीगिरि, सुवर्णगिरि, फलश्री से युक्त तथा समीचीन आचार-विचार में स्थित हैं। कुथलगिरि, कोटिशिला, रेशिदीगिरि, पोदनपुर, हस्तिना १२. वहां ऊंचे-ऊंचे पर्वत हैं। उन पर्वतों पर धव पुर, वाराणसी, मथुरा, अहिच्छत्र, श्रीपुर, चन्द्रगुहा आदि सपा देवदार के वृक्ष एवं लताएं हैं, एवं सिंह आदि बड़े. तीर्थस्थानों का उल्लेख हुआ है। यहां से अनेक ऋषि मुनियों ने निर्वाण प्राप्त च्यिा पा"।

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