Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Author(s): Saubhagyamuni Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ संदेश Jain Education International (5) ( ६ ) कृषि तथा सिंचाई मंत्री, भारत सरकार नई दिल्ली ४ सितम्बर, १९७५ प्रिय महोदय, पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज अपने दीक्षा जीवन के पचास वर्ष पूर्णकर इक्यावनवे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। उनके सम्मान में इस अवसर पर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया जा रहा है, यह आपके पत्र दिनांक २५-८-१९७४ से माननीय कृषि एवं सिंचाई मन्त्री, श्री जगजीवन रामजी को ज्ञात हुआ । माननीय मन्त्री जी की शुभ कामना है कि समारोह सफल हो एवं मुनि श्री अम्बालाल जी दीर्घायु हों और समाज व राष्ट्र की सेवा करते रहें। भवदीय धर्मचन्द्र गोयल विशेष सहायक मुख्यमन्त्री, राजस्थान जयपुर १५-६-१६७५ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी श्रमण संघ के प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज के दीक्षा जीवन के ५१ वें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर अभिनन्दन ग्रन्थ को एक सार्वजनिक समारोह में उन्हें भेंट किया जायेगा । मुझे बताया गया है कि मुनि श्री अम्बालाल जी मेवाड़ ही नहीं भारत के अनेक प्रदेशों में पद यात्रा कर धर्मोपदेश करते रहे हैं। मैं प्रारम्भ से ही जैन सन्तों के त्यागमय जीवन का प्रशंसक रहा है। मेरी मान्यता है कि वर्तमान में जैन धर्म के प्रचारकों का जीवन एक आदर्श कर्मनिष्ठ जीवन होता है । परन्तु यह प्रश्न अवश्य विचारणीय है। कि जैन धर्मावलम्बी अपने जीवन में किस सीमा तक इन उपदेशों को उतार सके हैं। मैं श्री अम्बालाल जी महाराज के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ तथा आपके अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता चाहता हूँ । -हरिदेव जोशी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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