Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 142
________________ B REAKER श्री पञ्चकल्प भाथम [1390 हो मल चविहोना इमो अण्णो 28190 सम्म य वनम्मि चरित. म्मि य केनले / चियकिच्चे मेहे य उबडष्या तु महिया // 134 // दसण चरितवने पारचणवदहतो पचिमति / ते जेणं भजती तु एवं एसा भवे चतुरो // 1349 // दंन्यणाचते य नहा जीनणिकाया य जोम मारभती / उहालणाए भयणा एनेमि होति दोण्हॅपि // 2350 भणाभोएण मिच्छन सकते सम्मन्नं पुणभागने / नमेन तस पच्छित ज सम्म पविज्जती // 1351 // माभोगेण उमिच्छन्न संकंते सम्मन्न पुणरागरे / जिाधेराण आगाए मूलच्छेनं तु कारए // 1352 घण्डं जीजणिकाया अय्यझो तु नाहतो / तिरिडेण घ. डिक्कते मूलच्छेज्जतु कारए, 13537 छण्डं जोणिकायाण अण. ज्जो तु निराहतो / मालोइय - डिक्कतोसुद्धो हबति सजतो // 135/ जीनाणकाधारंभे रयणवले य भणिय पच्छिनं / न दे मुतबिहिणा .. न्नह देते इमे दोभा // 13111 अपच्छिते य पच्छिन्नं पांचछने अतिमजया / धम्मम्मामायणा तिव्वा मगन्स य राहणा // 1356 // उरसुतं वनडरतो कम्म वर्धात चिकण / संसार च परहढे मोडणिज्नं च कुचाने / / 1357 उम्ममाटेमसाए मग विडिनाटए / पर मोडेण रंजतो महामोडं पनि / दार // 13 // सडिस्कमणो धम्मो परिमारस य पछिमस्स यजिस ममियाण जिणा कारणजाए पडिक्कमणा / दारं / / 1359 // दुविहो य मासळप्यो जिणकप्यो ने विरकप्यो य / एकमेको य दुविहो हितमप्यो य हितकप्यो। दारं // 136 पज्जोसवणाकग्यो डोति हितो अदिहलो चक्षण / एमेन जिणाणा 4 कप्ये हितमटिडतो होति / / 1316 // उम्मामुकोसो मन्तरि राइंटिया जहणणं / हितमदिडतमेगतरे कारवयामि ताणतरे। दारं॥३२हितमरितो कप्यो एमो मेमे नपिणओ समाम्मेण / अह एनो जिकय्य यो. छामि अडाणपूवीए 13630 गच्छन्मिय जिम्माथा धेश जे मृणितसबपरमत्था / अगाह अभिग्गडेना उति जिणकप्पियविहारं // 1364 // णव पुब्बि जडण्णण उस्कोमेण तु दस भसंपुण्णा / चोहमपच्ची निच तेण जिणकष्य 7 पनज्जे // 1365 // बोसभसंघयण / दार। मुनस्सन्यो 'डोति यन्मयो / संसारमानो वा माओ तो मुर्णितयमत्यो // 13660 FREEEEEEEEEEEEEEE P22 PCSC greerCharne

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