Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

Previous | Next

Page 275
________________ [272] श्री आगम सुधा मि-धु वमो विभाग सेणिए राया महिडिटएजाब सेतं साहू, अहो दिल्लणा देवी महडिळया सुंदराजार सेतंसायी, सेणणं असो ! अन्धेसम?' हंता अधि / एवं बलुसमकाउसो ! मए धम्मे पण्णाने इणामेर निगये यावयणे सत्ये अयत्तरे पडिपणे केवलिए संमुहले आउए सललगलगे सिडिमणे मतिम निजाणमणे नि. व्वाणमरणे अक्तिहमविसंधि सव्वदम्पय्यहीणमरणे इत्थंटिया जीवा सिझंति बुज्झांति मुचंति परिनिवाइंति सबकरवाणमंतं करेंत / जस्सणं धम्मस्स निये सिवाए / उपस्ठिए विहरमाणे पुरा दिगिंधार पुरा पिवासाए पुरावातानवेहि पुरोहिं विकनकोहि परिसहोवसरोहिउदिण्णकामजाय यावि विहरेजा से य परक्कमेज्जा से य परकुममा पासेजा जेज्मे उणपुत्ता महामाउथा भोगपुत्ता महामाउथा तेसिंणं गणतरस्य अतिजायमाणान्सवानिजायमाणम्स वा पुरी महंगासी दास-किरकमकर-पूरिन्सायं अंते परिक्षितं धत्तभिंगारंगहाय निग्गरति तदणंतरंच पुरी महाआसा आसरा उभभी तेसिं नागा नागवत पिहनी रया रथवरा भसंगिल्ली सेनं उदरियसेयरछत्ते भभुगभिंगारे पगरियतालियरे पविय. पण (त्त सेयचामरवालवीयणीए अभिनव अर्तिजाति य निजाति य सप्पभा / सपुब्बानरं च पहाए करबलिकम्मे जाव सल्वालं. कारविभूसिर महतिमहालियाए कडागारसालाय महतिमहालयसि सिंहासणंसि आर सब्बरातिगिरणं जोषणा सियाथमाणे इथि. शुम्मपरिबडे महास्य-नहगीय-वाश्यतीतलताल तुरिय-घणमुश्म सहलपडप्यवाश्यरवेणं उरालाई माणुसगाई भीगभीगाई भुजमाणे विरह। तत्सर्ग एगमवि आणजे माणस जान चतारिफ्य अमत्ता चब अभुति भणह देवाणुप्पिया!निकरेमो विभाहरेमो वि. मोमो आचिट्ठामो? किभेथियिनिते आसप्स सहति ? जं पासिता निगये निहायं करीति जर इमस्स तवनियम मंगरवासस्स तं वेवाव साह एवं खलु समणाउसो ? निग्गये 羨獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎

Loading...

Page Navigation
1 ... 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294