Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 265
________________ [262] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभागः / धाणूबा कंटए ना हीरए वा सकरा ना भणुपविसेजा ने कम्प से नीहरित्तए बाविसोहि-सावा, कय्यइसे आहारियंइ. त्तए 18 मासियो जाब अछिसिवा. पाणाणिवा बीयाण वा एवा परियागजिज्जा नी से कम्पनीहस्तिएवा विशेहिता वा कप्यइसे आहारिय शेतए 20 / मासियं णं जावजन्येव सूरिए अत्यमेज्ज तत्व जलसिवा चलमि वा दुग्धसिवा निण्यांसिवा पध्वयंसि वा विसमंसिवा गड्डाए वाहीए वा, कम्पइसे तं रथणि तत्थेव उवायणाक्तिए, नो से कार्य पदमवि गमित्तए कय्यइले कल्लं पाउथ्यभायाए रयमीरजाल जलते पाईगाभिमुहम्स वा पाहिणानिनुहन्स वा पजीणामिः मुहम्स ना उत्तराभिमुहल्स वा आहारियं रत्तर 21 / मासियं णं जाव नो कप्पइ अगंतरहियाए पुटवीर निहा इतना पयलाइत्तएवा, केवली बया-आयाणमेयं, से तत्थ निहायमाणे वा यथलायमाणे वा हत्यहि भूमि परामुसेज्जा महाविधिमन ठाणं ठाइत्तए निरंवमित्तएवा उच्चारपासनणणं बा. (प्या)हिज्जेजा नो से कय्यद भोगिरिहत्तए,कप्रद से पुवा:लहि-तए धरिले उच्चारयासवणं परिक्तिएतमेव उवस्मयं आगरस अहाविधि ठाणं इत्तए 22) मासियं णं आव नोकप्य इससरमधेहि पाहिं (कारहि गाहावाकुलं भत्ताएवा पाणा. ए वा निरव मित्तए वा परिसित्तएवा, भह पुण एवं जागोजा - ससरस्व से भत्ताए वा अल्लत्ताएवामलत्ताए वा पंकताए वा विक्षत्थे, से कय्यद शाहावइकुलं भत्ताए वा पाणार वा नियमित्तए वा पविसित्तए वा 23/ मालियं, जावनी कम्पइसीओदगविथडेण वासणोद्गस्थिडेण या इत्याणि वा पायाणि वा दंताणि वा अच्छीण वा मुहं वा उत्तो लितए ना पधीवित्तए वा गण्ण-थ लेवालेनेग वा 24 मासियं जाव नो कप्यइ आसम्स' वा हथिम्स वा जीणत ना,पहिसरस वा कोलस्स वा साणम्स वा कोलासुगमका

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