Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 7] [26] हिम पडिनण्णास अशाररस बिहा गोयरचरिया पहात्ता, तं जहा- पेला अदपेला गोमुत्तिया पयंगधीपिया संबुकावटा गंतुंपच्यागया / मासिय णं भिक्खुपडिमं पडिवगणस्स अणगारस्सजत्य कर जागति कम्पद से तत्थ एगराश्यं वसित्तए,जत्य णं के. इनआण३ से कय्यति तत्य गरायं वा दुरायं नावसित्ता, नो कय्याइ एगराधाओ वा दुरायाओ वा परं पत्थर जंतत्थ एगरायाभो वा दुरायाभी वापरं वसति से संतरा छदेवा परिहारे या 9 / मासियं ण भिक्खुपडिमं परिवण्णास्स अणशास्स कप्पनि चत्तारि भासाओ भासित्तए तंजहा. जायणी पुच्छणी अण्णवी पुदउस्स वागरणी 10 मासियं गंभिक्खुपडिमं पविण्यारस अणणास्स कम्मति तओ उक्स्सगा परिलहितए तंजहा-महे आरामगिहसि वा अहे वियऽजिहंसि वा अहे समवमूलगेहंसि वा / मासियं णं भिखुर्याउंमं पडिवण्णस्स अगाणारस कय्यंति तो उक्स्सगा अयुग्णवित्तए तंजहा- अहे आरामशिहं 'अहे विथडमिहं अहे रक्षमलनिहं 12/ मासिथण्णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स कय्यति तभी उस्सगा बायणात्तिए तं चैव 13 मासियं णं भिक्षुपडिम पडिवण्यरस अणगारस्स कय्यद तओ संघारमा पडिलेहित्तए तंजहा-पुखीसिलं वा कदासिल वा आहासंघडमेव 31 मासियं गं भिमायुपडिम पडिवण्णस्स अणगारल्स कम्पनी संथारा भाण्णवेत्तएतंचेव 15 // मारियं ण जान कप्पति तभी संथारा ओवाथणावेत्तए तंव। मासियं णं जाव इत्थी उवस्सयं उवागरिजा से इत्थी एवं पूरिसे णो से कप्पर तं पध निकपमित्तए वा पविसिताना 31 मासिथ जाव पडिवग्णस्स के उपस्सथ अगणिकाएण झामेज्जा नो से नाप्मद तं पडुच्च निकस्थमित्तए ना पनिसितए वा, तत्य गं कर धाय असिं हाय आगरछेजा जाव से नो कम्पर पहुचअनलविता या पनलंक्तिए वा, कथ्य से भानारियं रीस्तए / मासियं गं भिरनुपडिम जाव पायांसि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎

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