Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 262
________________ 護聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6] [259] भने से परिण्णा भवति / / सेग खुरमुंडए ना सिंहलिधाए वा नसणं आभ(३)स्स वा समाभदउस्स वाकय्यति रवे भासा. ओ भासित्तए, तजहा-जाण वा जाण, अजाण वा जी जाणां रासेणं एयारवेण विहारे विहरमाणे जहण्णोणं एगाह मा दुयाहं वा उपरोने इस मासा विहरिज्जा 3 दसमा उवासगपडिमा ॥१०॥सू०२९॥ महा. वरा प्रकारसमा उवासगपडिमा-सवधम्मराई जाव उद्दिभत्ते से परिणाए भवति / / से या खुरमुंडए वा लुत्तमिरर वा गहियाधारमंडगनवन्य जारिसे समणा निशियाण धम्म पाते तं सम्मं कारण फासेमाणे पालेमाणे पुरभो जुगमायाए पेहमाणे दण तसे पाणे उडटु पाए रज्जा साहटु पाए रीएज्जा वितिरिरहवा पाय करंट एज्जा, सति परकमे संजतामेव परिक्कमेज्जा नो उजुयं छज्जा 2 / केवलं से नाथए पेजबंधणे अवोधण्णे भवति / एवं से कप्यति नायविहिएत्तए, तत्थ से पुवागमणेण पुवाउत्ते चाउलोरणे फ्छाउतेभिलिंगसूवे कथ्यति से चाउलोदणे पडिमाहित एनी से कप्य भिलिंगसूबे पडिगाहित्तए / तत्थ से पुवागम पण पुब्बाउत्ते भिलिंगसूवे परधाउत्ते चारलोदणे कम्पति से मिसिंग सूवे पडिगाहित्तए नो से कम्पति चारलोदणे पडिगाहित्तए / नत्य से पुबागमणणं दोवि पुब्बाउत्ताई कथ्यंति से दोपिडिगाहित्ता 6. तत्य से पुब्बागमणेणां दोवि पधाउत्ताइ नो से नय्पति कोवि पडिगा हितए तय से पुब्बागमणे पुब्बाउत्ते से कय्यति पडिगाहिता जैसे तत्थ पुवागमणेण पच्छाउते नी से कय्यद पडिगाहिता। तत्य गाहावद कुल पिंडवायपडियाए अणुपविठस्स कय्य एव वत्तिय- समणोवासगम्स परिमापडिवण्णास्स भिकरवं इलयह 10/ ९या संग विद्वारेण विहरमाणे के पासित्ता वदेजा के भाउसो। तुमं व.। सबसिया समणीवासए पडिम पग्विन्जिते महमंसीति वत्त सिया से एयरवेणं विहारेण विहरमाणे जहण्णेणे एगाहं वा दयाहवा तियाहया कोसेण पारस मासे विहरेज्जा 1 // एगारसमा उवासमपडिमा // एताभो खलु ताओ धेरेहि भगवंतेहि पगारस मामय

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