Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 266
________________ श्री दशा श्रुतस्कन्धसूत्रं 00 दशा 7] [263] वा दुस्स वा धस्स या आवडमाणस्म परमवि पच्चीसदित्तए, अदुस्स भावमाणस्म कथ्यति जुगमित्तं परयोसत्तिए 2 // मामियंणं आव नोकप्यदायाभो सीमति उण्हं इत्तए उहाभो उहानि नो धायं एत्तए, जत्य जया सिया तं तत्थ अहियासर 26 / एवं बलु पला मासिया भिक्युडिमा महा. सुत अहाकय्यं महामन महातच्च सम्मकारण फासितापालिसा सोहिना तीरित्ता विहिता भाराहिला आणाए अपालिता भवति २७॥३२॥दो मासियं णं भिनरनुपडिम परिवण्यास्य भणगारस्या नि नोमहठकादा तंचव जाव से वृत्ती ) निमा सिथ ण जार तिण इजीमोराचारमामिया जान चत्तारि दत्तीभो // पंचमासिय ग. पातीमो. मासियां जाव' इसीओ सनमामियं या सत्त उत्तीओजन्य जलिया मामा तत्य लत्तिया रतीभो // 10 // पठम मलराईदिय ण भिम्रपरिम पविण्णस्स भणगारस्म निचं वोमिकाए. जाव माहियामेव कप्पर से चरत्येणं अत्तयां भयाणपण बहिया गामस्स ना आवरायहाणीए वा उत्तामागस्स ना पासेल्सशास. वा सन्जियम्स नागयों ठाएत्तर शतन्य रिश्वमाणुसतिरिका जोणिया उनमाया समुथ्यमिजा. ते गं अबसरमा पलिज्जा यडिजभानी मे कप्या पलितए वा पवाहिताना तत्य धारपासवणे अव्याज्जा नी से कम्पा वारपासवणं भोशिमिहत्तए कम्पइसे पूरपडिलेहि पंस्लिामि धारपास... व्यं परिलक्सिए. महाविधिमेब टास गश्तहार सा बल। पढमा सत्तरादिया भिन्नुपरिमा महासतजाब भाया भय पालिता भवति / एव चा सत्तराविधानि नबर रंडानि: यस वालगंडसाइरसबा उकडयम्मा नाम गाइत्तए मेस चेन जाव अणुयालिता भवति / एतच्या सत्तगह दियाविभ. पति, नवरं गोदहियाए वापीमासणियरस वा अंबज्जरस वागण महत्तए, प्रवंचव जाव भणुपालिता भवति // सू०३०॥ एव महो.

Loading...

Page Navigation
1 ... 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294