Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
________________ श्रीदशा श्रत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6 / 257 इहलो मरिश परालो भधि विक्ष विमल आरिहता अस्थि चक्कनट्टी अस्थि बलदेवा अस्थि वासुदेवा अस्थि सुकडदुक्क. डाण कम्माण लावत्तिविसेसे 2 / सुचिन्ना कम्मा सुचिन्नमला भवीन दुञ्चिन्ना कामा दुच्चिण्णमला भवति सफले कल्लाणपावए पच्चायति जीवा 3 / अत्थिनेरक्या अत्यि देगा भत्यि सिद्धी 4) से एववाही एवंपन्न एवंदिही एवं धंदरागमतिराम). निविदते आनि भवति 5 / सेभवति महिरछे जाव उत्तरगामिए नेरासुकूपक्षिए आगमेसाण सुलभबोखिए यावि भवति / सेतं किंरियावाही // 19 // सव्वधम्मई यानि भवति / / तरसणं बहुइ सीलब्बय-गुणवयवेरमण-पथ्यकावाण-पोसही ववासाइं नौ सम्म पठन्तिपुबाई भवति / एक दमणसाचओ, से ण सामाझ्यं देसावकासियं जी सम्म अणुपालिन्ता भवति 31 पदमा उनासगडिमा // 1 // 020 / / अहावरा दोचा उवासय पडिमा-सब्बधम्मलई यावि भवति / तस्सगं बदई सीलक्य. गुणवयनरमण-पचक्याग-पोसहोरवासाइंसम्म पठक्सिाई भवतिरासे गं सामाझ्यदेसावगासियं नो सम्म अणुपालिसा भ. नति 38. दोच्या उवासगरिमा // 2 // सू०२१॥ अहावरतचा उवासगपरिमा-सम्मधम्मरुई यावि भवति / / तस्स णंबाई सीलवय-गुणवय-वेग्मण-पच्चरवाण-योसहीवनासाई सम्म पदविताई भवति / से णं सामाइयदेसावगासियं सम्म भणुपालित्ता भवति / से गं चाउद्दस-अम्मी-उदिहठ-पुण्णमासिणीसु पहि. पुरण पीसहं नो सम्म अणुपालेत्ता भवति / तच्चा उवासगडिमा ॥३॥सू०२२॥ महावरा घात्या उवासगपडिमा- सबधम्मलई यावि भवति / तस्सणं बहूइ सीलवय जाच सम्म यदविताइं भवति 2 / सेणं सामाइयदेसावगासियं सम्म अणुमालेता भवति / णं चाउद्दम-भइम्मी-पहिरापुण्ण मासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म 'अणुयालेत्ता भवति / / सेर्ग एगराइयं उनामगपडिमं नो सम्म अ. गुपालेता भवति 5 / चउत्था उवासगपडिमा / / 4 / 023 // भवावरा 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽
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