Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 [22] श्री आगम मुधा मि-धु: 0 नवमो विभागः / जो माणकरे ७३३'।सू.५॥ चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता,तं जहा-ग.. णसंगहकार नाम एगे,जो माणकरे,माणकरे जाम एगे जो गण संगहकरे, एगे गणसंगहकरेवि माणकरधि, एगे नो गणसंगहकारे नो माणकरे, ७३५।।सू.६॥चत्तारि पुरिसज्जाया पन्नता,त जहा गणसोहकार नाम एगे जो माणकरे.माणकरे नाम एगेनो गणसोहकरे एगे गणसोहकवि माणकरेषि, एगे जो गण सोहकरे जो माणकरे / / २.७॥चत्तार पुरिसज्जाया पन्जत्ता, तंजा-गणसोहिकरे नाम एगे जो माणकर,माणकरे जामं एगे जो गण सोहिकरे, एगे गणसोहि करेवि माणकारवि, एगें जो गणसोहि करे जो माणकरे 739 // सू.८॥ चन्तारि पुरिसज्जाया पन्नता, तं जहा-रुवं जामेगे जहङ्क नो धम्म, धम्म नामेगे जहइ जो सचं एगेसचंपि जहइ धम्मपि जहन एगै नो सवं जहइ नौ धम्म जहइ 743 // 9 // चन्तारि पुरिसज्जाया पन्नत्ता,तंजहा-धम्म जामेरो जहइनो गणसंहिई,गणसौई नामेंगे जहइ नो धम्म, एगे धम्मपि जन गणसहईपि जड्डू,एगे जो धम्म जहइ जो गणसंहिइं जहइ 747 // मू.१०॥ चत्तारि पुरिसज्जाथा पन्नरा, नं जहा-पियधम्मै नामेगे जो दग्धम्मे,दग्धम्मे जामेगे नो पियधम्मे,ए. गे पियधम्मेवि दठधम्मेधि, एगे नौ पियधम्मे नो दधम्मे 753 // सू.११॥ चन्तार आयरिया . पन्जत्ता,तं जहा- पव्वावणारिए जामगे जो उबदहावणारिए, उवहाबणारिए नामेगे जो पचावणारिए, एगे पव्वावणा. थरिएवि उपहावणारिएवि, एगे जो पव्यावणारिए जो उवढावणायरिए, 756' / सू.१२॥ चत्तारि आरिया पन्जत्ता,तं जहा- उद्देसणारिए जामेंगे जो वायणायरिए, वायणारिए नामे जो उद्देसणारेए, एगे उद्देसणारिएवि वायणारिएवि, एगे जो उदसणारिए जो वायणारिए,७५७ // 22 // यतारि अंतेवासी पन्जत्ता, तं जहा-पव्वाधणभंतेवासी नामैगे जो उवहायणअंतेवासी, उवहावणांतेवासी णामेगे जो पव्वाव अंतेवासी, एगे पव्यावणांतेवासी उवहावणांतेवासी. एगे जो पच्चावणांतेवासी जो उवट्ठायणांतेवासी ॥सू.१४॥ चत्तारि अंतेवामी पन्नत्ता, तंजहाउद्देसण तेवासी, पो उद्देमणन्नेवासीवि वाधण नेवासी जो उद्देमण. नेवासी नो वायणन्तेवासी '759 ॥सू.१५॥ तो भूमा जनओ, यणन्तेवासी. वायण नेवासी 聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎

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