Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 256
________________ 聽聽聽聽聽聽聽幾聽聽聽聽幾 श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 6 (253] मलोगच जियो पासर केवली // 9 // परिमार विसुद्धाय मोटामिने स्वयं गए। असे मोगमलोगच पासति सुसमाहिए // 10 // जहाथ मत्थयसुईयाए हम्मते तले। एवं कम्माणि हम्मति मोह. णिसे स्वयं गए // 11 // सणावनिमि णिहते,जहा ~~~ मेणा मणस्सति / एवं कम्मा पणस्संति मोहणिज्जे रवयं गए // 12 // धूमहीगो जहा अशी चिजते से निरिणे / एवं कम्माणि खी यते मोहसिन्जे स्वयं गए // 13 // सुकमूले जहा रुकावे सिच्चमाणे गरो. हति।एन कम्मा ण रोहंति मोहणिजे वयं गए जहा दइटाण बीयाण ण आयति पुणेकुरा / कम्मबीर नहा दइटे (मुदइटेसु) नरोहति (जाति) भवकुरा // 15 // चिया ओरालियं बोंदि नामोत्तं च केवली / आउर थपिचविता भवतिनीए एवं अभिसमागम्म सिमानाथ आउसो।। सेगिसोधिमवागम्म आथा सोहीमबागए॥१७॥ बेमि॥ पंचमा दमा समत्ता // 5 // अथ श्रमणोपासकप्रतिमाख्यं षष्ठमध्ययनम्। सुयं मे भाउसतेणं भगवया एवमकसायं. इह खलु पेरेति भगवतेहिं एक्वारस नासगपडिमाभी पन्नताओ। कयराभो सयु ताओ धेरैहि भगवंतेहि वारस उवासगपडिमाओ पन्नत्ताओ इमा खलु ताओ धेरोह भगवतेहि इकारस उवासंगपरिमाओ पन्नता. भी, तं जहा. अकिरियावाही यावि भवति / नाहियवाई नाहियपण्णे नाहियदिही जो सम्मावाही जी णितियावाही नी संतिपरलोगवाही / णत्यि इहलोए णत्थि परलोए णन्थि माया गस्थि पिया णस्थि अरिहंता नत्यिचकवट्टी थि बलवा गत्सिवासुदेषा स्थि नरया पत्थि नेरेश्या गस्थि सुक्कडकडागं कलवितिविसेसे 3 / गो सुचिण्णा कम्मा सुचिन्नमला भवांत जी धिण्णा कम्मा धिणमला भवंति अमरले कल्लाणपानए नो पञ्चायति जीवा 47 पत्थि निस्था गधि सिद्धी शसे एर्नमानी से प्रचंपाये एवं दिदठी एबंधंदरागभिषिविरठे आवि भवति / सेभ भवति, महिणे महा

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