Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्री दशा श्रुत स्कन्धसूत्र 00 दशा 5] [251] (संगहिता भवति, सेह आधारगोथर गाहिता भवति साहम्मियस्स गिलायमाणरूम आहाथाम व्यावच्चे अभुहिम्ता भवतिसाहनिया अधिकरणसि उभ्यामसि तत्थ अणिरिसतोगस्मिती वसंतो अपवणाहए मन्सत्यभावभूते सम्म बबहरमाणे तस्स अधिकरणास स्वामय विउसमणथाए सथा समियं अभुरित्ता भवति 5 / कह नुसाहम्मिया अप्पसहा अय्याद्या अध्यकलहा अय्यकसाया अध्यनुमंतुमा संयमब हला सबरबहला समाहिबहला अय्यमत्ता संजमेण तवसा अध्याणं भा बमाणा एवं चणं विहरेज्जा, सेतं भारयोरुहणता। एसा रवलु पेरेहि भगवतेहि अरविहा गणिसंपदा पग्णत्ततिबेमि // स्०१५॥ गच्छत्या इसा समता // 4 // अपचित्त समाधिस्थानाख्यं पञ्चममध्ययनम्। सुम मे आसतेणं भगवयां एवमलाथ-३४ खलु धेशति भगवतेति इस विससमाहरगणा पण्णत्ता कयरे खलु ते थेरेहि जाब पता! इमे चतु ते इस वित्तसमाहितगणा पण्णासा, जहा-नेण का लणं तेणे समरण वाणियगाम नाम नयरे होत्या एत्यण नगर. गणी भाणियब्यो / नस्स ण वाणियगामनगरस बहिया :तरपुरधिमे दिसिभाः इदपलासे नाम चेश्य होत्या. चेयवाणाओ भाणियन्यो 20 जियसन्त राया तस्स धारिणी देवी एवं सत्र समोसर भाणिय जाव मुबीसिलापट्टए, मामी समोसटे, परिमा निग्गया. धम्मो कहिओ.परिसा पडिगया। सू०१६॥ अजोति समो भगवे महावीरे समणे निर्णधे निग्गेधीओ य आमतिता एयषयास इह खलु अओ। निधाण वा निगंधीण वा ईस्थिासमिण भासा समिया एसणासमिया आयामभडमत्तनिवेवणासमियाण उधारपासण- खेलजल्ल-सिधाण-पारिहानणियासमिधाण मणसमिधाण अयणसमियाणे कायसमियाण मणगुलाम शुता काययुत्ताणंगुति दिया गुत्तबंभयारी) आयठी आयहि याणं आयजीईणं आयपरक माणे परिखमयोसहीए सुसमाहीपत्ताणं झियायमाणाणं इमाई उस

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