Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 230
________________ 蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓蔓斐斐護 अथपञ्चमी देशकः। जो कप्यइ पत्तिणीए अविश्याए हेमन्तगिम्हामु चारए ॥सू.१॥ कय्य३ पत्तिणीए अप्पतझ्याए हेमन्तगिम्हासुचा. रए।सू०२॥ जो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पतइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए।०३।। कप गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए हेमन्तगिम्हासू चारए ॥सू.४ // जो कप्पइ पत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वस्थए सु.५॥कप्पड़ पचात्तणीए अप्पचउत्थीए वासावास त्यएम.६ ॥जो कम्पइगणावच्छेदणीए अप्यचउत्थीए वासावासं उत्थए ॥सू.७॥ कप्पइ गणावच्छेदणीए अप्पपंचमीए वासावास बस्थए ॥सू.॥से गामंसि वा जाव संनिससि ना (रायडाणिमिवा) बर्ष पत्तिणीणं अप्पतइयाणं बहण गणावच्छेइणीणं अप्पाचउत्थीणं कप्पइ हेमन्तगिम्हासु चारए अन्नमन्नं निसाए।सू.९।। से गामंसि वा जाव संनिवेसंमि वा बहण पत्तिणी अप्पचउत्थीणं बहुर्ण गणावच्छेदणीणं अप्पपञ्चमीण कप्पर वासावामं वत्थए अन्नमजं निसाए।सू.१०।। गामाणुगामं दुइज्जमाणी निग्गन्धी य जं पुरओ काउं विहरेज्जा सा य आइच्च वीमुंभेज्जा अस्थि या इत्थ काइ अन्ना उवासंपज्जणारिहा,मा उवसंपज्जियव्वा, जस्यि या इत्य काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्यणो कप्याए अममत्ता एवं से कप्पड एगराइयाए पडिमाए जण्णं जगणं दिसं अन्नाओ साइम्मिणीओ विहरति तण्णं तण्णं दिसं जाव छए वा परिहारे वा ॥स.११॥ वासावासं पज्जोसावया निग्गन्दी पुरओ काउं बिहरेज्जा सा य आइच्च पीसुंभेज्जा अस्थि या द्वत्थ काइ अन्ना उवासंपज्जणारिहा सा उपसंपज्जियव्या जाव वा छेए परिहारे वा ।।सू.१२॥ पवनिपल यशिलायमा अन्नयरंवएज्जा'मए of अज्जोकालायाए समाणीए इयं समुम्कसिथव्वा'सा य समुक्कसणारिश मा समुक्कसिथव्वा सिथा, सा य जो समुक्कसारिहा जो समुक्क - सिथवा सिया 1 / अस्थि या इत्थ काइ अण्णा समुक्कसणारिहा सा समुसियचा, नन्धि या इत्य काइ अण्णा समुक्कमणारिहा सा

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