Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 234
________________ श्री व्यवहार सूत्र :: उद्देशकः 60 231] स्य अप्यागमम्स भिवसुस्स ॥सू. ६॥से गामंसि वा जाव संणि, बेससि वा एगबगाए एगदुवाराए अभिनिवघमणपसाए कप्पड़ बहुम्सुथरस बज्झारामस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहुनो कालं मिक्युभावं परिजागरमाणस्स '357 // सू.७॥ जत्थ एए बहवे इत्थीओ अ पुरिसा अ पण्डायन्ति तत्व से समणे निग्गंधे अ. जयरंसि अचित्तमि सोयंमि सुक्यापोगाले निग्धाएमाणे हत्थकम्म. परिवणपत्री आवज्जइ भासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं / / जत्थ एए बहवे इत्पीओ अ पुरिमा अपहायन्ति तत्व से समणे निग्गंधे अन्जयरंसि अचित्तसि सोयोस सुक्कपोग्गले निग्याएमाणे मेहुणपडि. सेवणपने आवज्ज चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं 2 / 367' ॥सू. // जो कप्पइ निग्गांधाण वा निग्गीण वा निग्गंधि अण्णगणाओ आगया युधाया सबलायारं भिन्नाया संकिलिडायाचरितं तस्म डाणरम अणालोयावेत्ता अपोरक्कमावेत्ता अनिन्दावेता अगरहावेत्ता अविउट्टावेत्ता अविमोहावेत्ता अकरणाए अणभुट्टावेत्ता अहारिह पायच्छित नबोकम्म अपरिवज्जावेत्ता उवडाक्तए वा संभुजित्तए वा संचसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिस वा अदिस वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा २॥सू.९॥कप्पा निग्गंधाण वा निग्गंधी वा निगधि अन्नगणाओ आगयं घुयायारं सखलाया भिन्नाया संविलिदहायावरिन तरस ठाणस आलोयावेत्ता पडिक्कमावेत्ता निन्दापेक्षा गरहावेत्ता विउटावेत्ता विसोहावेता अकरणाए अब्भुढावेत्ता अहोर इं. पार्थाच्छतं तवोकम्म पडिवज्जावेत्ता उदहावतए वा जाव धारेत्त ए वा 3. .10 / / जो कप्पर जिग्गंधाण वा निग्गंधीण वा निग्धं अन्नगणाओ भागय सुयायानं सबलाधारं भिन्नाथारं संकिलिहाया सारनं तस्स हाणम्स अणालोयावेत्ता जाव उहिसित्तए वा धारेत रवास.कप्पर निर्णधाण वा निग्गंधीवा निगंध अण्णग जाओ आगय खुयायारं सखलाया२ भिन्नाथार संविलिदायारचरितं तस्स रणस्म आलोयावेत्ता जाव उद्दिस्सित्तए वा धारित्तए वाति डोम / / मू. 12 // छडो उद्देसओ // 6 //

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