Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 195
________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎, [192] श्री आमम सुधा सिन्धु समो विभा.. रोवण करण मफला मामा करे जो जागे / सो होति दाण म. रिहो नविबतीतो अपरिहो तु॥२३०५॥ किह पुण न दायब पाच्छितं पुच्छर सीसो / भण्णानि इमेण विडिगा दायव्वं तं जहाकममो // 2306 // मोडेण सहाण,सडाणविभागता पचिस्थाले। पच्छित पूरिसडेन कितिन सती चरणमादी / / 2307 // मोहे महाणं ति य ह चउगुल डोति रा. इंमि / सदाचिभागे पुण ईसरमाई मुणेयचो // 2308 // जह वा करकम्ममि य ओडेणं होति मासगुलयतु / होति विभागपसगो दिहादीओ मुजयच्चो / / 2309 // पुरिमज्जात गानु च दिज्जए जे च जारिम वधु / गुरुमादिलिय दुब्बलदडगिला णादि जं जोग्णं // 2310 // / होउ कारण गित्कारणे य जयणादिसेवियं जह उ / चोदेति कि णिमित्त पच्छिनं दिज्जते सुगम् // 2311 // पायच्छितेम. संतमि चरितंतुन चिडए / चरितमि असंतीम तित्थे जो सचरतया // 2212 // तित्यमि असंतमी वाणं तु 7 गच्छती ।व्वाणामि असंतमि सव्वा दिकमा निरस्थिया / / 2213 // एवं णिसीहकप्यो चनुहा नरिणतो समासेयं / वहारकामहुणा गुरुनएसेण वोच्छामि // 4 // लवहारे कोति भिवयू सच्चित्तशिवाणि / बवहरती नवहार वितह सो संघमामि // 2515 // कोइ बड़स्मुथ भिवमू अपुनमगरंमि मिचियवहार / णाए जिंदित्ता नत्थब्बेहि पमाणकतो ॥१६आई पच्छा सच्चित्तं मुड्डाई नस्म केणई दिण्णं / जसड़ी पाउरणं ना नरम पम जवहरेउ // 221 // पयतिल्लादी गिद्ध मडगुलादीहि वा नि संगडितो / सव्वाहिँ एहि ताडे बनहरए पनमनातेण // 14 // दुदहनबहारिएणं को नुणिसेडेज्ज तो बदे सघो। एतदडा सघमेलो कीरति इणमो यमपत्तो // 2219 // अण्णो तरिओ मघाममतीयति गिण वाराओ / उच्चारे सिद्धपुत्तो तन्य य मेरा इमा होति // 30 // / घडमि संघसह धूलीजघोवि जो ण एज्जाडि / कुलगसंघसमाए लग्गति गुलएच चउमाये // 300 काडिति अ 護護獎獎獎獎獎聽聽聽聽聽獎

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