Book Title: Agam Athuttari
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 51
________________ 38 105 104 14 तस्स वि सव्वं भालिय तुट्ठो हरति सिरोरं ते डमरूमणितुल्ला थोवं पि अणुट्ठाणं दंसण-णाण-चरित्ते दंसणमूलो धम्मो दब्भतिणेणं विप्पा दव्वपरंपर दुग्गो दव्वपरंपरवंसो दाणं वसणालिद्धं दिण्णं वहेमि भारं दुट्ठत्तणेण पिसुण.... दुट्ठा सुसाहुनिंदा देवड्डिखमासमणा देवा वसंति पुच्छे धन्नो वक्कलचीरी धम्मा जयं थुवंतो धम्मिल्ल-दामणइया नयणविहीणं सुमुहं न हु देहं वंदिज्जति नाणेण दंसणेण य निय-नियगुणमाहप्पं पढमपहरम्मि दक्खिण परवंचणेण रत्ता पासवणं पावहरं पिट्ठीमंसे रसिया पूया-पच्चक्खाणं बहिराण कण्णजावो भक्खे सुक्कतणाई आगम अद्दुत्तरी 27 मत्तंड-चंड-दीधिइ 43 49 मत्तो जिणहरपडिमा 69 मह चम्माओ सेज्जा..... . 30 मिगमदगंधे लसणं 83 मूढाणं एस ठिती 70 मेहुणसण्णारूढे रण्णो तणघरकरणं 13 रयहरण-हत्थदंडा . 12 रायकरंडग-गिहवति.... राया तह जिणदेवो लंधिज्जति न सीमं लच्छी विणा न सुक्खं लक्ष्ण य मणुयत्तं. लब्भति विमाणवासो. लोयाणं एस ठिती वंझापुत्तसमाणा वत्थासण-घुसिण चंदण 46 विहि-अविहिं च न याणे 114 वेसकरंडगतुल्लेहि संगामे रोसिल्ला संघयणबुद्धिय बलं संजमरहितं लिंग सम्मत्तरयणभट्ठा साइजलं सुइसिप्पे 108 सामीभत्त-कयण्णू 37 साहसियं बहुलद्धं 106 सिरिवद्धमाणपट्टे 34 सिरिवद्धमाणसामी 60 सुत्तत्थकरणओ खलु 36 सुविसाललोयणदलं 42

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