Book Title: Agam Athuttari
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 62
________________ परिशिष्ट 2 : कथाएं कुलदेवी ने प्रकट होकर बताया कि उसे कापालिक लेकर गया है। देवी की बात सुनकर मैं तुम्हारी खोज करते-करते इधर आया और मैं भी कापालिक के चंगुल में फंस गया। उसी समय देवी प्रकट हुई और बोली-"इस कापालिक ने 107 बलि दे दी, अब एक बलि बाकी है। मतिसागर की बलि देने से उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी।" भीमकुमार ने विनम्र शब्दों में देवी से कहा-"आप जगद्माता हैं आपको बलि रूप हिंसा छोड़ देनी चाहिए। भीमकुमार की प्रेरणा से देवी ने अहिंसा की शरण स्वीकार कर ली। कापालिक भी अहिंसक बन गया और भीमकुमार की शरण ग्रहण कर ली। __ भीमकुमार ने. हेमरथ को दुष्ट राक्षस से बचाया और उसकी पुत्री मदालसा से विवाह किया। उसी समय देवी कालिका प्रकट हुई और नौलखा हार देते हुए कहा-"इस हार के प्रभाव से तुम्हें त्रिखण्ड का राज्य मिलेगा। देवी ने भीमकुमार को कमलपुर पहुंचा दिया।" अंत में भीमकुमार ने मुनि क्षमासागर से चारित्र ग्रहण किया और कैवल्य-प्राप्ति के साथ मोक्ष प्राप्त किया। 8. धम्मिल्ल . कुसुमपुर नगर में सुरेन्द्रदत्त नामक सार्थवाह रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुभद्रा था। उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसके गर्भ में आने पर माता के मन में धार्मिक भावना की वृद्धि होने लगी अत: उसका नाम धम्मिल्ल रखा गया। कालान्तर में उसने बहत्तर कलाओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। . यौवन आने पर माता-पिता ने उसी नगर के धनवसु सार्थवाह और धनदत्ता की पुत्री यशोमती के साथ उसका विवाह कर दिया। विवाह होने के पश्चात् भी धम्मिल्ल का मन भोग-विलास में लिप्त नहीं हुआ। रात्रि के 1. आगम 111, इस कथा का संक्षेपीकरण गुजराती में लिखित 'भीमकुमार' कथा से किया गया है।

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