Book Title: Agam Athuttari
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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________________ परिशिष्ट 4 : शब्दार्थ विण्णाण (विज्ञान) 35 | सवण (श्रवण) वितह (वितथ, मिथ्या) 111 | साइ (स्वाति नक्षत्र) वित्थार (विस्तार) 25 | साइय (स्वाति सम्बन्धी) विप्प (ब्राह्मण) | सारिच्छ (सदृश) विस (जहर) 78 | साहा (वृक्ष की शाखा) विसद (ज्ञानी) | सिंगी (वाद्य) विहि (विधि) 114 | सिग्घ (शीघ्र) विहिष्णु (विधिज्ञ) | सिढिल (शिथिल) विहूण (रहित) 62 | | सिणेह (स्नेह) वेरुलिय (वैडूर्यमणि) 98 सिप्प (सीपी) वेसा (वेश्या) 15 सिस्स (शिष्य) सउण (शकुन) 42 | सुइ (पवित्र) संखुब्भ (क्षुब्ध) 58 | सुक्क (शुष्क) संझा (सन्ध्या) | सुक्ख (सुख) संताव (संताप) | सुणग (कुत्ता) संथवण (संस्तव) 114 | सुण्ण (शून्य) संपत्त (संप्राप्त) 93 | सूल (शूल, शूलि) संसणया (प्रशंसा) 108 | सोया (श्रोता) सज्झाय (स्वाध्याय) 68 | सोवाग (चाण्डाल) सत्त (सत्त्व, शक्ति) 112 | सोवाण (सोपान) सप्प (सर्प) 93 सोस (शोषण करना) सम (श्रम) 43 | सोहम्म (सुधर्मा) समाइण्ण (समाकीर्ण) ___20 | हट्ट (दे. हाट) सम्मत्त (सम्यक्त्व) 110 | हालहल (जहर)
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