Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari View full book textPage 7
________________ KEE. शास्त्र प्रकाशक दक्षिण हैद्राबाद निवासी जोहरी वर्ग में श्रेष्ठ दरवी दानवीर गना वहादुर लालाजी माहेव श्री मुखदेव महायजी ज्वालाप्रमादजी! आपने माधु सेवा के और ज्ञान दान जैसे महालाभके लोभी बन जैन साधुमार्गीय धर्म के परम माननीय व परम आदरणीय बत्तीम शास्त्रों को हिन्दी भारानुवाद सहित छपाने को रु.२००००, का पर्चकर अमूल्य देना स्वीकार किया और युरोप यद्धारंभ से सब वस्तु के भाव में वृद्धि होने मे रु. ४०००० के खर्च में भी काम पूरा होनेका मंभव नही होते भी आपने उस ही उत्साह मे कार्य को समाप्त कर सबको अमूल्य महालाभ दिया, यह आप की उदारता माधुमार्गीयों की गौरव दर्शक व परमादरणीय है ! झयाला ( काटीयावाड ) निवासी धर्म प्रेमी कार्यदक्ष कृतज्ञ मणिलाल शिवलाल शेठ! इनोंने जैन टनिंग कालेज रतलाम में संस्कृत प्राकृत व अंग्रेजी का अभ्यास कर तीन वर्ष उपदेशक रह अच्छी कौशल्यता प्राप्त की.इन से शास्त्रोध्धार का कार्य अच्छा होगा ऐसी सूचना गुरुवर्य श्री रस्म रपिजी महाराज से मिलने से इन को बोलावे, इनोंने अन्य प्रेस में शुद्ध अच्छा और शीघ्र काम होना नहीं देख शास्त्रोध्धार प्रेस कायम किया और प्रेस के कर्मचारियों को उत्साही कार्य दक्ष बना काम लिया.तैसे ही भापानुवाद की प्रेसकोपी बनाइ.यद्यपि यह भाइ पगार से रहे थे तथापि इनोंने इस कार्य की सेवा बेतन के प्रमाण भे अधिक की. इस लिये इनको भी धन्यवाद देते हैं. SEars हैद्राबाद सिकन्द्राबाद जैन मंच EIR ज्यालाप्रसाद KRTERESTER Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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