Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चउप्पयविहिपरिमाणं करेइनन्नत्य चाहिं वएहिं दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसंसव्वं चउप्पयविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च खेतवत्थुविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य पञ्चहिं हलसएहिं नियत्तणसइएणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं सगडविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य पञ्चहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं पञ्चहिं सगडसएहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं सगडविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्यं चाहिं वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं चाहिं वाहणेहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं वाहणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं उवभोगपरिभोगविहिं पच्चक्खाएमाणे उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगाए गन्धकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खामि०, त्याणन्तरं च णं दन्तवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं अल्ललट्ठीमहुएणं, अवसेसं दन्तवणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं फलविहिपरिमाणं करेइ ननत्थ एगणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं अब्भङ्गणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं अब्भङ्गगणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं उचट्टणविहिपरिमाणं रेइ नन्नत्थ एगेणं सुरहिणा गन्धट्टएण, अवसेसं उव्वट्टणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं मजणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य अहिं उट्टिएहिं उदगस्स घडएहिं, अवसेसं मजणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं वत्थविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य अगरुकुङ्कुमचन्दणमाइएहिं, अवसेसं विलेवणविहिं पच्चक्खाामि०, त्याणन्तरं चणं पुष्फविहिपरिमाणं रेइ नन्नाथ ॥ उपासकदशांगं सूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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