Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तए णं अहं तेणं पुरिसेणं एयं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि, तए णं से पुरिसे दोच्चपि तच्चपि मम एवं व० -हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया! अज्ज जाव ववरोविज्जसि, तए णं तेणं पुरिसेणं दोच्चंपि तच्चपि ममं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारुवे अझथिए० - अहोणं इमे पुरिसे अणारिए जाव समायरइ जेणं ममं जेटुं पुत्तसाओ गिहाओ तहेव जाव कणीयसं जाव आयञ्चइ तुब्भेवियणं इच्छइ साओ गिहाओ नीणेत्ता मम अगओ घाइत्तए तं सेयं खलु मभं एयं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकट्ठ उद्धाइए, सेविय आगासे उप्पइए, भएविय खम्भे आसाइए महया महया सद्देणं कोलाहले कए, तए णं सा भद्दा सत्थवाही चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व०- नो खलु केई पुरिसे तव जावकणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ त्ता तव अग्गओ घाएइ एसणं केई पुरिसे तव उवसागं करेइ एसणं तुमे विदरिसणे दिढे तं गं तुमं इयाणिं भगवा भग्गनियमे भग्गपोसहे विहरसि तं णं तुमं पुत्ता! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि, तए णं से चुल्लणीपिया समणोवासए अभ्भगाए भद्दाए सत्थवाहीए तहत्ति एयभट्ट विणएणं पडिसुणेइ त्ता तस्स ठाणस आलोएइ जाव पडिवज्जइ १२८॥ तए णं से चुल्लणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिम् उवसम्पज्जिताणं विहरइ, पढभ उवासगपडिभं अहासुत्तं जहा आणन्दो जाव एकारसवि, तए णं से चुल्लणीपिया समणोवासए तेणं उरालेणं जहा कामदेवो जावसोहम्मे कप्पे सोहम्भवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरच्छिमेणं अरूणप्यभे विभाणे देवत्ताए उववन्ने चत्तारि पलिओवभाई ठिई पं० महाविदेहे वासे सिझिहिइ०, निक्खेवो। २९॥ चुलणीपियझयणं३॥ | ॥उपासकदशांग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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