Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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___ उक्खेवओ चउत्थस्स अझयणस्स, एवं खलु जंबू! तेणं कालेण० वाणारसा नाम नयरा काढए (काममहावणे पा०) चेइए/ जियसत्तू राया सुरादेवे गाहावई अड्डे० छ हिरण्णकोडीओ जाव छ व्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं धन्ना भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहेव पडिवजइ गिहिधम्म, जहा कामदेवो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णतिं उवसम्पजित्ताणं विहरइ। ३० तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स पुत्ररत्तावत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था से देवे एगं मह नीलुप्प जाव असिंगहाय सुरादेवं समणोवासयं एवं व०-हंभो सुरादेवा समणोवासया! अपत्थियपत्थया० जइ णं तुम सीलाई जावन भञ्जसि तो ते जेटुं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि त्ता तव अगओ धाएमि त्ता पञ्च मंससोल्लए करेमि ना आदाणभरियसि कडाहयंसि अहहेमि त्ता तव गायं मंसेण य सोणिएणय आयञ्चामि जहा णं तुभं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि एवं मज्झिमयं कणीयसं एकेके पञ्च सोल्लया, तहेव करेइ जहा चुल्लणीपियस्स नवरं एकेके पञ्च सोल्लया, तए णं से देवे सुरादेवं समणोवासयं चउत्थंपि एवं व०- हंभो सुरादेवा समणोवासया! अपत्थियपत्थया जावन परिच्चयसि तो ते अज्ज सरीरंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायङ्के पक्खिवामि तं०- 'सासे कासे जाव कोढे' जहाणं तुमं अट्टदुहट्ट जाव ववरोविजसि, तए णं से सुरादेवे समणोवासए जाव विहर३ एवं देवो दोच्चंपि तच्चपि भणइ जाव ववरोविजसि, तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अन्झथिए० अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जाव समायरइ जेणं ममं जेटुं पुत्तं जाव कणीयसं जाव आयञ्चइ जेविय इमे सोलस
पू. सागरजी म. संशोधित
॥ उपासक्दशांगं सूत्र।
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