Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandi पाडिहारिएणं जाव उवनिमन्तिस्यामि ॥४०॥ तए णं कल्लं जाव जलन्ते समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए परिसा निगया जावु|| पज्जुवासइ, तए णं से सहालपुत्ते आजीविओवासए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वन्दामि जाव पज्जुवासामि एवं सम्पेहेइ त्ता हाए जाव पायच्छिते सुद्धप्यावेसाई जाव अप्यमहग्धाभरणालकियसरीरे मणुस्सव गुरापरिगए साओ गिहाओ पडिणिक्खभइ त्ता पोलासपुरं नयरं मझमझेणं निग्गच्छइ त्ता) जेणेव सहस्सम्बवणे उज्जाणे जेणेव सभणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइत्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता वन्दइ नमसइ त्ता जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य महइ जाव धम्मकहासभत्ता, सद्दालपुत्ताइ! समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व०- से नूणं सदालपुत्ता! कालं तुमं पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जाव विहरसि तए णं तुब्भ एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने एवं व० - हंभो सद्दालपुत्ता! तं चेव सव्वं जाव पज्जुवासिस्सामि से नूणं सदालपुत्ता! अद्वे समढे?, हंता अस्थि, नो खलु सदालपुत्ता! तेणं देवेणं गोसालं मङ्खलिपुत्तं पणिहाय एवं वुत्तं, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासयस्स सभणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अझथिए० एस णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव तच्चकम्मसम्पयासम्पउत्ते तं सेयं खलुं मम समणं भगवं महावीर वन्दित्ता नमंसित्ता पाडिहारिएणं पीढफलग जाव उवनिमन्तित्तए एवं सम्पेहेइ त्ता उठाए उठेइ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ | उपासकदशांग सूत्र॥ पू.सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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