Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir य जाव वागरणेहि य जहिं जहिं गिण्हइ तहिं तहिं निष्पपसिणवागरणं करेइ से तेणद्वेणं सदालपुत्ता! एवं वुच्चइ-नो खलु पभू अहं अव धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए, तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवसए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं व०-जम्हाणं देवाणुप्पिया! तुब्धं मम धम्मायरिस्स जाव महावीरस्स सन्तेहिं तच्चेहि तहिएहिं सब्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह तम्हा णं अहं तुब्भे पाडिहारिएणं पीढजावसंथारएणं उवनिमन्तेमि नो चेवणं धम्मोत्ति वा तवोत्ति वा तं गच्छह णं तुब्भे मम कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढफलग जाव ओगिण्हित्ताणं विहरह, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सहालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमटुं पडिसुणेइ त्ता कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढ जाव ओगिण्हित्ताणं विहरइ, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सदालपुत्तं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ बहुहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि यसण्णवणाहि य विष्णवणाहि य निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते पोलासपुराओ नगराओ पडिणिक्खमइ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ १४४तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिँ सील जाव भावेमाणस्स चोइस संवच्छरा वइक्छन्ता पणरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले जाव पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णतिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, तए णं तस्स सदालपुत्तस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय सदालपुत्तं समणोवासयं एवं व०-जहा चुल्लणीपियस्स तहेव देवो उक्सगं करेइ नवरं एकेके पुत्ते नव मंससोल्लए करे जाव कणीयसंघाएइ त्ता जाव आयञ्चइ, तए | पू. सागरजी म. संशोधित ॥ उपासकदशांगं सूत्र। For Private And Personal

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