Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir कुम्भकारावणसया होत्या, तत्थ णं बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा कल्लाकलिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य|| अद्धघडए य कलसा य अलिञ्जरए य जम्बूलए य उट्टियाओय करेन्ति अन्ने यसे बहवे पुरिसा दिणभइमत्तवेयणा कल्लाकल्लिं तेहि |बहूहिं करएहि य जाव उट्टियाहि य रायमगंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति।३९। तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अन्नया कयाई पुव्वा (प्र० पच्चा) वरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ त्ता गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स अन्तियं धम्मपण्णति उवसम्पत्तिाणं विहरइ, तए णं तस्स सहालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिङ्खिणियाइं जाव परिहिए सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व०- एहिइ णं देवाणुप्पिया! कल्लं इहं महामाहणे उप्पन्नाणदंसणधरे तीयपडुप्यन्नाणागयजाणए अहा जिणे के वली सव्वण्णू सव्वदरिसी तेलोकवहि यमहियमहियपूइए सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अच्चणिजे वन्दणिजे पूणिजे सकारणिजे सम्माणणिजे कल्लाणं मङ्गलं देवयं चेइयं जाव पजुवासणिजे तच्चकम्मसम्पयासंपत्ते तंणं तुझं वन्देजाहि जाव पज्जुवासेज्जाहि पाडिहारिएणं पीढफलगसिज्जासंथारएणं उवनिमन्तेजाहि दोच्चंपि तच्चपि एवं वयइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं तस्स सदालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अझथिए० समुपने एवं खलु ममं धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मङ्घखलिपुत्ते से णं महामाहणे उम्पन्नणाणदंसणधरे जाव तच्चकम्मसम्पया-सम्पउत्ते से णं कल्लं इहं हव्वमागच्छिस्सइ तए गंतं अहं वन्दिस्सामि जाव पज्जुवासिस्सामि ॥ उपासकदशांगं सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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