Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kabatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie
लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं ३० - जइ णं देवा! तुभे इमा एयारूवा दिव्या देविड्डी०|| अणुद्वाणेणं जाव असुरिसकारपरक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया जेसिंणं जीवाणं नथि उठाणेइ वा जाव परक्कमेइ वा ते किं न देवा? अह णं देवा! तुमे एयारुवा दिव्वा देविड्डी० उट्ठाणेणं जाव परकमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया तो जं वदसि सुन्दरी णं गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव नियया सव्वभावा मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उट्ठाणेइ वा जाव अणियया सव्वभावा तं ते मिच्छा, तए णं से देवे कुण्डकोलिएणं एवं वुत्ते समाणे सङ्किर जाव कलुससमावन्ने नो संचाएइ कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स किंचि पाभोक्खमाइक्खित्तए नाममुद्दयं च उत्तरिज्जयं च पुढवीसिलापट्टए ठवेइ त्ता जामेव दिसंपाउन्भूए तामेव दिसंपडिगए। तेणं कालेणं० सामी समोसढे, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए इमीसे कहाए लद्धडे हट्ट जहा कामदेवो तहा निग्गच्छइ जाव पजुवासइ, धम्मकहा।३६।कुण्ड कोलियाइ! समणे भगवं महावीर कुण्डकोलियंसमणोवासयं एवं व० -से नूणं कुण्डकोलिया! कल्लं तुब्भ पुव्वा (प्र० पच्चा) वरहकालसमयंसि असोगवणियाए एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे नाममुदं च तहेव जाव पडिगए से नूणं कुण्डकोलिया! अद्वे सभडे?, हन्ता अस्थि, तं धन्ने सिणं तुम कुण्डकोलिया! जहा कामदेवो अज्जोइ! समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे य निग्गंथीओ य आमन्तेति त्ता एवं व० - जइ ताव अजो! गिहिणो गिहिमझा (५० झि) वसन्ता अन्नउत्थिए अद्वेहि य हेअहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणे करेन्ति सक्का पुणाई | उपासकदशांग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65