Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||दसगोसाहस्सिएणं वएणं सामी सभोसले जहा कामदेवो तहा सावयधमें पडिवजइ सच्चेव वत्तव्वया जाव पडिलाभमाणी विहर।३५।। तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाई पुवावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जेणेव पुढवीसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ त्ता नाममुद्दगंच उत्तरिजगंच पुढवीसिलापट्टए ठवेइ त्तासमणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे नाममुदं च उत्तरिजं च पुढवीसिलापट्टयाओ गेण्हइ त्ता सखिङ्खिणिं अन्तलिक्खपडिवाने कुण्डकोलियं सभणोवासयं एवं व०- हंभो कुण्डकोलिया समणोवासया! सुन्दरी णं देवाणुप्पिया! गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नथि उठाणेइ वा कम्भेइ वा बलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसकारपरकमेइ वा नियया सव्वभावा, मंगुली णं सभणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उठाणेइ वा जाव परंकमेइ वा अणियया सव्वभावा, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं व०- जइ णं देवा! सुन्दरी गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव नियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उठाणेइ वा जाव अणियया सव्वभावा, तुमे णं देवाणुप्पिया! इशा एयारुवा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे किण्णा लद्धे किण्णा पत्ते किण्णा अभिसमण्णागए किं उठाणेणं जाव पुरिसक्कारपरक्कमेणं उदाहु अणुट्ठाणेणं अकम्मेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं?, तए णं से देवे कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं व०- एवं खलु देवाणुप्पिया! मए इमेयारूवा दिव्या देविड्डी० अणुढ़ाणेणं जाव अपुरिसकारपरक्कमेणं
पू. सागरजी म. संशोधित
॥उपासकदशांगं सूत्र॥
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