Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | रोगायङ्का तेवि य इच्छइ मम सरीरगंसि पक्खिवित्तए तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकट्टु उद्धाइए सेवि य आगासे उप्पइए तेण | य खम्भे आसाइए महया महया सद्देणं कोलाहले कए, तण णं सा धन्ना भारिया कोलाहल सोच्चा निसम्म जेणेव सुरादेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ ता एवं व०- किण्णं देवाणुम्पिया ! तुम्भेहिं महया महया सद्देणं कोलाहले कए?, तए णं से सुरादेवे समणोवासए धन्नं भारियं एवं व०- एवं खलु देवाणुम्पिए! केवि पुरिसे तहेव कहेइ जहा चुल्लणीपिया धन्नावि पडिभणड़ जाव कणीयसं नो खलु | देवाणुप्पिया! तुब्भं केवि पुरिसे सरीरंसि जमगसमगं सोलस रोगायङ्के पक्खिवइ एस णं केवि तुब्भं उवसग्गं करेड़ सेसं जहा चुल्लणीपियस्स भद्दा भण्इ एवं निरवसेसं जाव सोहम्मे कप्पे अरूणकन्ते विमाणे उववन्ने चत्तारि पलिओवमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० निक्खेवो । ३१॥ सुरादेवज्झयणं ४ ॥ उक्खेवो पच्चमस्स। एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं आलंभिया नामं नयरी सङ्घवणे उज्जाणे जियसत्तू राया चुल्लसयए गाहावई। अड्डे जाव छ हिरण्णकोडीओ जाव छव्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं बहुला भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहा गिहिधम्मं | पडिवज्जइ सेसं जहा कामदेवो जाव धम्मपण्णतिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ । ३२ । तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावर त्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं व० हंभो चुल्लसयगा समणोवासया! जाव न भञ्जसि तो ते अज्ज जेट्ठ पुत्तं साओ गिहाओ निणेमि एवं जहा चुल्लणीपियं नवरं एक्क्क्के सत्त मंससोल्लया जाव कणीयसं आयञ्चामि तए णं से चुल्लसयए पू. सागरजी म. संशोधित ॥ उपासक दशांगं सूत्रं ॥ २८ For Private And Personal

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