Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जाव देवो पडिगओ, से नूणं कामदेवा! अट्ठे समट्ठे ?, हन्ता अस्थि, अज्जोइ समणे भगवं महावीरे बहवे समणे निग्गन्थे य निग्गन्थीओ य आमन्तेत्ता एवं व० - जड़ ताव अज्जो ! समणोवासगा गिहिणो गिहमज्झावसन्ता दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहन्ति जाव अहियासेन्ति सक्का पुणाई अज्जो ! समणेहिं निग्गथेहिं दुवालसङ्गं गणिपिडगं अहिज्झमाणेहिं दिव्यमाणुस्सतिरिक्खजोणिए० सम्मं सहित्तए जाव अहियासित्तए, तओ ते बहवे समणा निग्गन्था य निग्गन्थीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमहं विणएणं पडिसुणन्ति, तए णं से कामदेवे समणोवासए हट्ट जाव समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ अट्टमादियइ समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो वन्दइ नमसइ ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कथाई चम्पाओ पडिणिक्खमइ ता बहिया जणवयविहारं विहरई । २५ । तए णं से कामदेवे समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उवसम्पज्जित्ताणं विहरड़, तए गं से कामदेवे सम वासए महूहिं जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणिता एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्म काएणं फासेत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सद्वि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थिमेणं अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं | देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, कामदेवस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, से णं भन्ते ! कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्तां कहिं गमिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०,
॥ उपासक दशांगं सूत्रं ॥
'२२
पू. सागरजी म. संशोधित
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