Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kcbatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
। निक्खेवो। २६॥ कामदेवज्झयणं २॥
उस्खेवो तइयस्स अझयणस्स, एवं खलु जम्बू! तेणं कालेणं० वाणारसी नामं नयरी, कोहए (महाकामवणे पा०) चेइए| जियसत्तू राया, तत्थणं वाणारसीए नयरीए चुल्लीणीपिया नामंगाहावई परिवसइ अड्डे जाव अपरिभूए सामा भारिया अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ वुड्डिपउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं, जहा आणन्दो राईसर जावसव्वकज्जवट्टावए यावि होत्था, सामी समोसढे परिसा निग्गया, चुल्लणीपियावि जहा आणन्दो तही निगओ, तहेव गिहिधम्म पडिवजइ गोयमपुच्छ। तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाए पोसहिए बम्भचारी समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णतिं उवसम्पजित्ताणं विहरइ। २७। तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं पाउन्भूए, तए णं से देवे एगं नीलुप्पल जाव असिं गहाय चुल्लणीपियं सभणोवासयं एवं व०- हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया! जहा कामदेवो जाव न भञ्जेसि तो ||ते अहं अज्ज जेटुं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि ना तव अग्गओ घाएमित्ता तओ मंससोल्लए करेमि त्ता आदाणभरियसि कडाहयंसि अहहेमि ता तव गायं मंसेण य सोणिएणय आइञ्चामि जहा णं तुझं अमृदुहट्टक्सट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि, तए णं से चुल्लणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता दोच्चंपि तच्चपि चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं ३०- हंभो चुल्लणीपिया! समणोवासया तं चेव भणइ सो जाव विहरइ, तए | उपासकदशांग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65