Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पडिवजिजइ?, नो तिणढे समढे, जइ णं भन्ते! जिणवयणे संताणं जाव भावाणं नो आलोइज्जइ जाव तवोकम नो पडिवजिज्जइ तं णं भन्ते! तुब्भे चेव एयस्स ठाणस्स आलोएह जाव पडिवजह, तए णं से भगवं गोयमे आणन्देणं समणोवासएणं एवं वुत्ते समाणे सङ्किए कंखिए विइगिच्छासमावन्ने आणन्दस्स अन्तियाओ पडिणिक्खभइ त्ता जेणेव दूइपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामन्ते गमणागमणाए पडिक्कभइ त्ता एसणमणेसणं आलोएइ त्ता भत्तपाणं पडिसंसेइ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी एवं खलु भन्ते! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए तं चेव सव्वं कहेइ जाव तए णं अहं सङ्किए० आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमामि त्ता जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, तं णं भन्ते! किं आणन्देणं सभणोवासएणं तस्स ठाणस्स आलोएयव्वं जाव पडिवजेयव्वं उदाहु भए?, गोयभाइ! सभणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं| एवं क्यासी गोयमा! तुमचेवणं तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि, आणन्दं च समणोवासयं एयभटुं खामेहि, तए णं से भगवं गोयमे सभणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेइ त्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवजइ, आणन्दं व समणोवासयं एयमटुं खामेइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई बहिया जणवयविहारं विहरइ। १६। तए णं से आणन्दे समणोवासए बहूहिं सील्लव्वय० जाव अयाणं भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्म काए फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसिता सटुिं भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्वन्ते समाहिपत्ते कालमासे ॥उपासकदशांगं सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
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